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________________ भगवनी सूत्र-श. ३ उ. ७ लोकपाल वैश्रमण देव ७२३ आदि का भी यहां ग्रहण किया गया है । लवण-समुद्र में ईशान कोण में अनुवेन्धर नामक नागराज का आवास रूप पहाड़ कर्कोटक पर्वत है । और उस पर्वत पर रहने वाला नागराज भी कर्कोटक कहलाता है । इसी तरह लवण-समुद्र में अग्नि-कोण में विद्युतप्रभ नाम का पर्वत है । उस पर कर्दमक नामक नागराज रहता है । वायुकुमार देवों के राजा वेलम्ब के लोकपाल का नाम अञ्जन है और धरण नाम के नागराज के लोकपाल का नाम 'शंखपालक' है। लोकपाल वैश्रमण देव ६ प्रश्न-कहि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्प्स महारण्णो वग्गु णामं महाविमाणे पण्णत्ते ? ६ उत्तर-गोयमा ! तस्स णं सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरेणं जहा सोमस्स महाविमाण-रायहाणिवत्तव्वया तहा गेयव्वा, जाव-पासायवडेंसया । सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणरस इमे देवा आणा-उववाय-वयण-णिदेसे चिटुंति, . भावार्थ-६ प्रश्न-हे भगवन ! देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल वैश्रमण महाराज का वल्ग नाम का महाविमान कहां है ? ६ उत्तर-हे गौतम ! सौधर्मावतंसक नाम के महाविमान से उत्तर में है। इसका सारा वर्णन सोम महाराज के महाविमान के समान जानना चाहिए। यावत् राजधानी और प्रासादावतंसक तक का वर्णन उसी तरह जानना चाहिए। ___ देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल वैश्रमण महाराज की आज्ञा में, उपपात में, वचन में और निर्देश में ये देव रहते हैं। तं जहा-चेसमणकाइया इ वा, वेसमणदेवयकाइया इ वा, सुवण्णकुमारा, सुवण्णकुमारीओ; दीवकुमारा, दीवकुमारीओ; Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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