________________
भगवती सूत्र-श. ३ उ. ७ लोकपाल यम देव
इ वा, दाहा इ वा, कच्छकोहा इ वा, अजीरया इ वा, पंडुरोगा इ वा, हरिसा इ वा, भगंदरा इ वा, हिययसूला इ वा, मत्थयसूला इ इ वा, जोणिसूला इ वा, पाससूला इ वा, कुच्छिमूला इवा, गाममारी इ वा, नगरमारी इ वा, खेडमारी इ वा, कव्वडमारी इ वा, दोणमुहमारी इ वा, मडम्बमारी इ वा, पट्टणमारी इ वा, आसममारी इ वा, संवाहमारी इ वा, सण्णिवेसमारी इ वा, पाणक्खया, जणक्खया, धणक्खया, कुलक्खया, वसणभूया अणारिया, जे यावि अण्णे तहप्पगारा ण ते सकस्स देविंदस्स, देवरण्णो जमस्समहारण्णो अण्णाया०, तेर्सि वा जमकाइयाणं देवाणं । सकस्स देविंदस्स, देवरण्णो जमस्स महारण्णो इमे देवा अहावचा अभिण्णाया होत्था; तं जहा
अंबे अंबरिसे चेव सामे सबले ति यावरे, रुद्दो-वरुद्दे काले य महाकाले त्ति यावरे । असी य असिपत्ते कुंभे(असिपत्ते धणू कुंभे)बालू वेयरणी त्ति य, .. खरस्सरे महाघोसे एमए पण्णरसाऽऽहिया ।
सकस्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो सत्तिभागं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता, अहावचाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता, एवं महिड्ढिए, जाव-जमे महाराया।
कठिन शब्दार्थ-डिबा-विघ्न, डमरा-राजकुमारादि कृत उपद्रव, कलहा-वचनों द्वारा
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org