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________________ भगवती सूत्र-श. ३ उ. ७ लोकपाल यम देव ७१५ स्थिति एक पल्योगम की है । इसलिये यहां उनकी स्थिति एक पल्योपम की बतलाई गई है। लोकपाल यम देव ४ प्रश्न-कहि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो, जमस्स महारण्णो वरसिटे णामं महाविमाणे पण्णत्ते ? . ४ उत्तर-गोयमा ! सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स दाहिणेणं सोहम्मे कप्पे असंखेजाइं जोयणसहरसाई वीईवइत्ता एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स, देवरण्णो जमस्स महारण्णो वरसिटे णामं महाविमाणे पण्णत्ते-अद्धतेरसजोयणंसयसहस्साइं, जहा सोमरस विमाणं तहा जाव-अभिसेओ; रायहाणी तहेव, जाव-पासायपंतीओ, सबक स्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो इमे देवा आणा, जावचिटुंति; तं जहा-जमकाइया इ वा, जमदेवकाइया इ वा; पेयकाइया इ वा, पेयदेवयकाइया इ वा; असुरकुमारा, असुरकुमारीओ; कंदप्पा णिरयवाला, आभिओगा; जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तभत्तिया, तप्पक्खिया, तब्भारिया सकस्स देविंदस्स, देवरष्णो जमस्स महारण्णो आणाए जाव-चिटुंति; कठिन शब्दार्थ-णिरयवाला-नरकपाल, आभिओगा-सेवा करनेवाले । भावार्थ-४ प्रश्न-हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल यम महाराज का वरशिष्ट नाम का महाविमान कहाँ है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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