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________________ भगवती सूत्र-श. ३ उ. ५ अनगार की विविध प्रकार की वैक्रिय शक्ति ६९१ आकाश में उड़ सकता है ? ८ उत्तर-हाँ, गौतम ! उड़ सकता है। ९ प्रश्न-हे भगवन् ! भावितात्मा अनगार, एक तरफ जनेऊ धारण करने वाले पुरुष के समान कितने रूप बना सकता है ? ९ उत्तर-हे गौतम ! पहले कहे अनुसार जानना चाहिए अर्थात् वह . ऐसे रूपों से सम्पूर्ण एक जम्बूद्वीप को ठसाठस भर देता है, यावत् परन्तु कभी इतने रूप बनाये नहीं, बनाता नहीं और बनायेगा भी नहीं। १० प्रश्न-से जहा णामए केइ पुरिसे एगओपल्हस्थिय काउं चिद्वेजा, एवामेव अणगारे वि भावियप्पा • ? १० उत्तर-एवं चेव जाव-विउव्विसु वा, विउव्वंति वा, विउ. विस्संति वा; एवं दुहओपल्हत्थियं पि। ११ प्रश्न-से जहा णामए केइ पुरिसे एगओपलियंकं काउं चिडेजा ? .... ११ उत्तर-तं चेव जाव-विउव्दिसु वा, विउव्वंति वा, विउवि. स्संति वा; एवं दुहओपलियकं पि । कठिन शब्दार्थ-पल्हत्थियं-पलाठी, पलियंक-पर्यङ्कासन । भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! जैसे कोई पुरुष, एक तरफ पलाठी लगाकर बैठे, इसी तरह क्या भावितात्मा अनगार भी उस पुरुष के समान रूप बनाकर स्वयं आकाश में उड़ सकता है ? ___ १० उत्तर-हे गौतम ! पहले कहे अनुसार जानना चाहिये । यावत् इतने रूप कभी बनाये नहीं, बनाता नहीं और बनायेगा भी नहीं । इसी तरह . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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