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________________ भगवती सूत्र – श. ३ उ. २ फेंकी हुई वस्तु को पकड़ने की देव शक्ति तथा अपने अपराध की क्षमा याचना करके एवं चमरेन्द्र को अपनी तरफ से अभय देकर वापिस अपने स्थान पर चला गया । फैकी हुई वस्तु को पकड़ने की देव-शक्ति २२ प्रश्न - 'भंते !' त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी - देवे णं भंते ! महिड्ढीए, जाव - महाणुभागे पुव्वामेव पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेव अणुपरियट्टित्ता णं गेव्हित्तए ? २२ उत्तर - हंता, पभू । २३ प्रश्न - सेकेणट्टेणं जाव - गिण्हित्तए ? २३ उत्तर - गोयमा ! पोग्गले णं खित्ते समाणे पुव्वामेव सिग्घगई भविता तओ पच्छा मंदगइ भवह, देवे णं. महिsढीए पुव्विं पिय, पच्छा विसीहे सीहगई चेव, तुरिए तुरियगई चेव, से तेणणं जाव - पभू गेण्हित्तए । २४ प्रश्न - जड़ णं भंते! देवे महिड्ढीए, जाव - अणुपरियट्टित्ता णं हित्तए, कम्हा णं भंते! सक्केणं देविंदेण देवरण्णा, चमरे असुरिंदे असुरराया णो संचाइए साहत्थिं गेण्हित्तए ? २४ उत्तर - गोयमा ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गइ विसए Jain Education International . ६३७ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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