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________________ ५२ भगवती सूत्र – श. १ उ. १ काल चलितादि सूत्र अचलिये कम्मं बंधंति ? १३ उत्तर - गोयमा ! णो चलिये कम्मं बंधंति, अचलियं कम्मं बंधंति । १४ प्रश्न - रइया णं भंते! जीवाओ किं चलिये कम्मं उदीति ? अचलियं कम्मं उदीरेंति ? १४ उत्तर - गोयमा ! णो चलिये कम्मं उदीरेंति, अचलियं कम्म उदीरेति । एवं वेदेति, ज्यर्वृति, संका मेंति, हि तेंति, निकायिंति, सव्वेसु अचलियं, णो चलिये । १५ प्रश्न - रइया णं भंते! जीवाओ किं चलिये कम्मं णिज्जरेंति ? अचलियं कम्मं णिज्जरेंति ? १५ उत्तर - गोयमा ! चलियं कम्मं णिज्जरेंति, णो अचलियं कम्मं णिज्जरेंति । गाहाबंधोदय वेदो संकमे तह णिहत्तण णिकाये । अचलियं कम्मं तु भवे, चलियं जीवाओ णिज्जरए || - शब्दार्थ - भंते - हे भगवन् ! णेरइया - नारकी के जीव, जे- जिन, पोलेपुद्गलों को, तेयाकम्मत्ताए– तेजस कार्मण रूप में, गेव्हंति — ग्रहण करते हैं, ते — उनको, किं— क्या, तीयकालसमए - अतीत काल समय में, गेव्हंति - ग्रहण करते हैं, पप्पन्नकाल्यावर — वर्तमान काल समय में, गेव्हंति — ग्रहण करते हैं ? या, अणागयकालसमएभविष्य काल समय में, गेव्हंति - ग्रहण करते हैं ? उत्तर - गोयमा - हे गौतम! तीयकालसमए - अतीत काल समय में, को नेव्हंति - ग्रहण नहीं करते हैं, पडुप्पण्णकालसमए - वर्तमान काल समय में, गेव्हंति - ग्रहण करते हैं, अणागयकालसमए - भविष्य काल समय में, जो गेण्हंति - ग्रहण नहीं करते हैं । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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