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भगवती
सूत्र - श. २ उ. ५ गर्भ विचार
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च्चिरं होइ ?
२८ उत्तर - गोयमा ! जहणेणं अतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं चउव्वीसं
संवच्छराई ।
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२९ प्रश्न - मणुस्स-पंचेंदियतिरिक्खजोणियबीए णं भंते ! जोणियन्भूए केवतियं कालं संचिट्ठइ ?
२९ उत्तर - गोयमा ! जहण्णेणं अतोमुहुत्तं, उनकोसेणं बारस मुहुत्ता ।
विशेष शब्दों के अर्थ - उदगगब्भे-पानी का गर्भ, केवच्चिरं - कितने समय तक, संवच्छराई - वर्ष, काय प्रवत्थे - काय भवस्थ-उसी माता के गर्भ में ही रहना, जोणियम्भूएयोनिभूत ।
भावार्थ - २५ प्रश्न - हे भगवन् ! उदकगर्भ ( पानी का गर्भ ) कितने समय तक उदकगर्भरूप में रहता है ?
२५ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट छह मास तक उदकगर्भ, उदकगर्भरूप में रहता है ।
२६ प्रश्न - हे भगवन् ! तिर्यग्योनि- गर्भ कितने समय तक 'तिर्यग्योनिगर्भ रूप में रहता है ?
२६ उत्तर - हे गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट आठ वर्ष तक तिर्यग्योनि- गर्भ, तिर्यग्योनिगर्भरूप में रहता है ।
२७ प्रश्न - हे भगवन् ! मानुषी - गर्भ, कितने समय तक मानुषी - गर्भरूप में रहता है ?
२७ उत्तर - हे गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट बारह वर्ष तक मानुषीगर्भ, मानुषीगर्भरूप में रहता है ।
२८ प्रश्न - हे भगवन ! कायभवस्थ, कितने समय तक कायभवस्थ रूप में रहता है ?
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