SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 345
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र - श. १ उ. ८ वीर्य विचार भावार्थ -- २७३ प्रश्न - हे भगवन् ! एक सरीखे, सरीखी चमडी वाले, सरीखी उम्र वाले, सरीखे उपकरण ( शस्त्र) आदि वाले कोई दो पुरुष, आपस में एक दूसरे के साथ संग्राम करें, तो उनमें से एक पुरुष जीतता है और एक पुरुष हारता है । हे भगवन् ! ऐसा क्यों होता है ? ३२६ २७३ उतर- हे गौतम ! जो पुरुष सवीर्य ( वीर्य वाला) होता है वह जीतता है और जो बीर्यहीन होता है वह हारता है । २७४ प्रश्न - हे भगवन् ! इसका क्या कारण हैं कि यावत् वीर्यहीन हारता है ? २७४ उत्तर - हे गौतम! जिसने वीर्य व्याघातक कर्म नहीं बांधे हैं, नहीं स्पर्श किये हैं यावत् नहीं प्राप्त किये हैं और उसके वे कर्म उदय में नहीं आये हैं, परन्तु उपशान्त हैं, वह पुरुष जीतता है। जिसने वीर्य व्याघातक कर्म बांधे हैं, स्पर्श किये हैं यावत् उसके वे कर्म उदय में आये हैं परन्तु उपशान्त नहीं हैं, वह पुरुष पराजित होता हैं । इसलिए हे गौतम! इस कारण ऐसा कहा हैं कि वीर्य वाला पुरुष जीतता हैं और बीर्यहीन पुरुष हारता हैं । 1 विवेचन समान त्वचा वाले समान उम्र वाले और समान शस्त्रादि वाले दो पुरुष कहें, तो उनमें से निर्जीर्य (वीर्य व्याघातक कर्म बाला) पुरुष हारता है और सवीर्य (वीर्य व्याचातक कर्म रहित) पुरुष जीतता है । वीर्य विचार २७५ प्रश्न - जीवा णं ते! किं सवीरिया, अवीरिया १. २७५ उत्तर - गोयमा ! सपीरिया वि, अवीरिया बि । Jain Education International २७६ प्रश्न - से केणट्टेर्ण ? २७६ उत्तर - गोयमा ! जीवा दुविहा पण्णत्ता । तं जहा : For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy