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________________ ૧૪ विषय ४१ उपस्थान- परलोक की क्रिया ४२ अपक्रमण - पतन ४३ कर्मक्षय से मोक्ष ४४ पुद्गल का नित्यत्व ४५ छद्मस्थादि की मुक्ति उद्देशक ५ ४६ नरकावास ४७ असुरकुमारों के आवास ४८ पृथ्वी कायादि के आवास ४९ स्थिति स्थान २२२ २२३ २२५ २२७ ५० अवगाहना स्थान २३५ ५१ नारकों के शरीर २३७ २४१ ५२ नैरयिकों की लेश्या दृष्टि आदि ५३ असुरकुमारों के स्थिति स्थान आदि २४७ ५४ पृथ्वी कायिक के स्थिति स्थानादि २४९ ५५ बेइन्द्रियादि के स्थिति स्थानादि २५२ ५६ मनुष्य के स्थिति स्थानादि २५५ ५७ वाण व्यन्तरादि के स्थिति स्थानादि २५६ उद्देशक ६ ५८ सूर्य के उदयास्त दृश्य की दूरी ५९ लोकान्त स्पर्शना आदि ६० क्रिया विचार ६१ आर्य रोह के प्रश्न ६२ लोक स्थिति ६३ जीव पुद्गल सम्बन्ध ६४ स्नेहकाय पृष्ठ २०५ २०७ २१० २१४ २१६ Jain Education International २५८ २६१ २६४ २६९ २७६ २८० २८२ विषय उद्देशक ७ ६५ नारक जीवों का आहार ६६ विग्रह गति ६७ गर्भ विचार ६८ गर्भगत जीव के अंगादि ६९ गर्भस्थ जीव की नरकादि गति ७० गर्भ में जीव की स्थिति उद्देशक ९ ७५ जीवादि का गुरुत्व लघुत्व ७६ निर्बंधों के लिए प्रशस्त उद्देशक ८ ७१ बाल पंडितादि का आयुष्य ३११ ७२ मृग घातकादि को लगनेवाली क्रिया ३१६ ७३ हार जीत का कारण ७४ वीर्य विचार ७९ अप्रत्याख्यान क्रिया ८० आधाकर्म भोगने का फल पृष्ठ ८५ एषणीय आहार का फल ८२ स्थिर अस्थिरादि प्रकरण २५६ २९२ २९६ ३०२ ३०४ ३०८ ३३० ३३९ ७७ अन्यमत और आयुष्य का बन्ध ३४१ ७८ स्थविरों से कालास्यवेषि के प्रश्नोत्तर ३४४ ३५३ ३५४ ३५८ ३६० For Personal & Private Use Only ३२५ ३२६ उद्देशक १० ८३ परमाणु के विभाग और भाषा अभाषा ३६२ ८४ पथिक और साम्परायिकी क्रिया ३७१ www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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