SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [12] प्रकाशन संघ की ओर से किया जाय। इसके लिए आर्थिक पीठ बल की आवश्यकता थी। मैंने संघ के तात्कालिन अध्यक्ष और वर्तमान संघ के संरक्षक तत्त्वज्ञ सुश्रावक रत्न श्रीमान् जशवंतलालभाई शाह, बम्बई से सम्पर्क किया तो आपश्री ने उन सभी आगमों को अपने आर्थिक सहयोग से छपवाने की सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी। परिणाम स्वरूप ये आगम प्रकाशित हुए । इसके प्रकाशन के बाद मेरे मन में भावना बनी कि जब इतने आगम संघ की ओर से प्रकाशित हो चुके हैं, तो शेष आगम ओर प्रकाशित कर सम्पूर्ण आगम बत्तीसी ही क्यों न पूरी प्रकाशित कर दी जाय। आर्थिक सहयोग के लिए पुनः शाह साहब से निवेदन किया तो आपने फिर उदारता के साथ सम्पूर्ण आगम बत्तीसी का अपनी ओर से प्रकाशन कराने की स्वीकृति प्रदान कर दी। इस प्रकार आपश्री के आर्थिक संबल और प्रोत्साहन के कारण ही यह आगम बत्तीसी पूर्ण हो पाई । आपश्री की संम्यग्ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए हमेशा उदार भावना रही है। धर्म प्राण समाज रत्न तत्त्वज्ञ सुश्रावक श्री जशवंतलाल भाई शाह एवं श्राविका रत्न श्रीमती मंगला बहन शाह, बम्बई की सम्यक्ज्ञान के प्रचार-प्रसार में गहरी रुचि है। आपकी भावना है कि संघ द्वारा जितने भी आगम प्रकाशन हों वे अर्द्ध मूल्य में ही बिक्री के लिए पाठकों को उपलब्ध हों। इसके लिए उन्होंने सम्पूर्ण आर्थिक सहयोग प्रदान करने की आज्ञा प्रदान की है। तदनुसार प्रस्तुत आग पाठकों को उपलब्ध कराया जा रहा है, संघ एवं पाठक वर्ग आपके इस सहयोग के लिए आभारी हैं। आदरणीय शाह साहब तत्त्वज्ञ एवं आगमों के अच्छे ज्ञाता हैं। आप का अधिकांश समय धर्म साधना, आराधना में बीतता है। प्रसन्नता एवं गर्व तो इस बात का है कि आप स्वयं तो आगमों का पठन-पाठन करते ही हैं, साथ ही आपके सम्पर्क में आने वाले चतुर्विध संघ के सदस्यों को भी आगम की वाचनादि देकर जिनशासन की खूब प्रभावना करते हैं। आज के इस हीयमान युग में आप जैसे तत्त्वज्ञ श्रावक रत्न का मिलना जिनशासन के लिए गौरव की बात है। आपके पुत्र रत्न मयंकभाई शाह एवं श्रेयांसभाई शाह भी आपके पद चिह्नों पर चलने वाले हैं। आप सभी को आगमों एवं थोकड़ों का गहन अभ्यास है। आपके धार्मिक जीवन को देख कर प्रमोद होता है। आप चिरायु हों एवं शासन की प्रभावना करते रहें, इसी शुभ भावना के साथ । इसके प्रकाशन में जो कागज काम में लिया गया है वह उच्च कोटि का मेफलिथो साथ ही पक्की सेक्शन बाईडिंग है बावजूद आदरणीय शाह साहब के आर्थिक सहयोग के कारण अर्द्ध मूल्य ही रखा गया है। जो अन्य संस्थानों के प्रकाशनों की अपेक्षा अल्प है। संघ की आगम बत्तीसी प्रकाशन योजना के अर्न्तगत इसकी यह पांचवीं आवृत्ति श्रीमान् जशवंतलाल भाई शाह, मुम्बई निवासी के अर्थ सहयोग से ही प्रकाशित हो रही है । आपके अर्थ सहयोग के कारण इस आवृत्ति के मूल्य में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं की गयी है। संघ आपका आभारी है। पाठक बन्धुओं से निवेदन है कि वे इस पांचवीं आवृत्ति का अधिक से अधिक लाभ उठावें । ब्यावर (राज.) दिनांक : १-१-२००८ भाग १ संघ सेवक नेमीचन्द बांठिया अ. भा. सुधर्म जैन संस्कृति रक्षक संघ, जोधपुर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004086
Book TitleBhagvati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy