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ढूंढक भक्ताश्रितत्र पार्वतीका १ नाम निक्षेप ( ३३ )
ढूंढक – हे भाई मूर्त्तिपूजक — ढूंढनीजी में पार्वती - नाम है सोनामनिक्षेप, न मानेंगे - पात्र नामही, मान लेवेंगे तो पिछे वेश्या पाEdit तुल्यता, न रहेगी ||
मूर्तिपूजक - - हे भाई ढूंढक शिवजीकी स्त्रीमे- पार्वतीजी नाम है, सोभी - जैन सिद्धांतकारोंने-नाम निक्षेप ही, माना है । अगर जो ढूंढनीजीकी जूठी कल्पना, मुजब नाम ही, ठहरायलेवें तो भी ढूंढनीजीमें तो पार्वती ऐसा नाम है सो भी नाम निक्षेप ही, ठहरेगा ॥
ढूंढक - - हे भाई मूर्तिपूजक - हमारी ढूंढनीजी में पार्वतीका - नाम निक्षेप, तूं क्या बेश्या पार्वतीका - नाम - निक्षेपकी, तुल्य समजता है ? ||
मूर्तिपूजक – हे भाई ढूंढक- हमतो जैन सिद्धांतानुसारसेंय वस्तुमें हेय रूप | और ज्ञेय वस्तुमें ज्ञेय रूप | और उपादेय वस्तु में - उपादेय रूप, यथा योग्य नामका निक्षेप, मानते है । पतु-त्रण निक्षेप - निरर्थक रूपे नहीं मानते है । यह तो तुमेरी हूंढनी पार्वतीजीने-सिद्धांतसें निरपेक्ष होके १ नाम भिन्न, । २ नाम निक्षेप भिन्न । ऐसें स्थापना | द्रव्य । और भाव । इन चारों निक्षेपोंको-भिन्न भिन्नपणे लिखके, और जूठा आठ विकल्प करके, मधमके-त्रण निक्षेप, निरर्थक, और उपयोग विनाके - ठहराये है । ऐसी अपनी अपूर्व चातुरी प्रगट करके, वेश्या पार्वतीका नाम निक्षेपकी-तुल्यता, अपने में ठहराय लिई है ? ||
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ढूंढक - हे भाई मूर्तिपूजक-वेश्श पार्वतीका नाम निक्षेप तुल्य-निरर्थक, स्वामिनोजीका नाम निक्षेप हो जावें, सो तो बात अछी नहीं । इस वास्ते में तेरेको ही पुछताहुं कि इस विषमें असल बात क्या है ? ॥
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