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________________ २४० | जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन जैन आगम' साहित्य में भी नीति संबंधी कुछ उल्लेख तथा विविध सूत्र मिल जाते हैं; किन्तु बाद में जैन आचार्यों ने इन्हें व्यवस्थित रूप दिया। उन्होंने ऐसे सूत्र बताए जिनके आचरण से मानव का व्यावहारिक जीवन सुखी हो, उसकी चित्तवृत्तियाँ शान्त हों और वह धर्म तथा अध्यात्म की ओर बढ़ने में समर्थ हो सके। जैन धर्म के अनुसार सम्यक्त्व प्राप्ति के अनन्तर चारित्रधर्म का प्रारम्भ अणुव्रत साधना से होता है । किन्तु अणुव्रतों की साधना से पूर्व भी योग्य पृष्ठभूमि की आवश्यकता होती है। उस मार्ग (अणुव्रतों) का अनुसरण करने की पूर्वभूमिका के रूप में आचार्य हेमचन्द्र ने ३५ गुण बताये हैं और इन्हें मार्गानुसारी के गण कहा है। तथा धर्ममार्ग का अनुसरण करने से पहले व्यक्ति में इन गुणों का विकास होना आवश्यक बताया है। यह ३५ गुण व्यक्ति के नैतिक जीवन से संबंधित हैं। अतः इनका संक्षिप्त परिचय यहाँ उपयोगी रहेगा। (१) न्यायसंपन्न विभव यह मार्गानुसारी का पहला गुण है। उसका प्रथम कर्तव्य है कि न्याय-नीतिपूर्वक आजीविका का उपार्जन करे। इस विषय पर हरिभद्र आदि सभी विचारक एकमत हैं । तथागत बुद्ध ने भी सम्यग्आजीव गृहस्थ के लिए आवश्यक बताया है। किन्तु यहाँ प्रश्न यह है कि न्यायनीतिपूर्वक उपार्जित धन किसे कहा जाय ? इसकी क्या कसौटी है ? इस विषय को एक नीतिशास्त्री ने स्पष्ट किया है-- माया मित्ताणि नासेइ (दशवकालिक ८/३८), माणोविणयणासणो (दशवकालिक ८/३८) कुद्धो सच्चं सीलं विणयं हणेज्ज (प्रश्नव्याकरण २/२) भुएहिं न विरुज्झेज्जा (सूत्रकृतांग) सादियं न मुसं वया (सूत्रकृतांग ८/१६) सच्चं च हियं च मियं च गाहणं च (प्रश्नव्याकरण २/२) पिट्ठिमंस न खाएज्जा (दशवैकानिक ८/४७) आदि व्यावहारिक नीति संबंधी अनेक वचन आगम साहित्य में यत्र-तत्र उपलब्ध होते हैं। २. योगशास्त्र, प्रथम प्रकाश, श्लोक ४७-५६ ३. (क) न्यायोपात्तं हि वित्त मुभयलोक हितायते। -धर्मबिन्दुप्रकरण १ (ख) न्यायोपात्त धर्नयजन् गुणगुरून् सद्गीस्त्रिवर्गभजन् ।। -पंडित आशाधर, सागार धर्मामृत Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004083
Book TitleJain Nitishastra Ek Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1988
Total Pages556
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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