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८४ | जैन नीतिशास्त्र : एक परिशीलन
मानवता के सच्चे और परम आदर्श के साथ सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास करता है।
___ अब कौन-सा आदर्श उचित है और कौन-सा अनुचित ? यह प्रश्न सामने आ जाता है । इस प्रश्न के समाधान के लिए नीतिशास्त्र को विभिन्न आदर्शों के उद्गम और आधारों का विवेचन/अध्ययन करना अनिवार्य है।
इस स्थिति में नीतिशास्त्र को मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, मानसशास्त्र और यहाँ तक कि जीवविज्ञान की सहायता भी अपेक्षित होगी।
मनोविज्ञान आदर्श के मूल प्रेरक कारणों को बतलाता है। समाजशास्त्र से यह ज्ञात होता है कि किस विशिष्ट समाज के लिए कौन से आदर्श हितकर हैं। मानसशास्त्र बतलाता है कि आदर्श किस प्रकार विकसित होते हैं। जीवविज्ञान मानव की प्रकृति और जैविकीय तथ्यों की विवेचना करके इस बात को निश्चित करता है कि कौन से आदर्श मानव की प्रकृति के अनुकूल हैं।
यदि इन तथ्यों की अवहेलना करके कोई आदर्श स्थापित कर भी दिया गया तो वह खोखला सिद्ध होगा, स्थायी नहीं रह सकेगा। इसी प्रकार आदर्शों की स्थापना में राजनीतिक एवं आर्थिक परिस्थितियों का भी महत्वपूर्ण भाग होता है और इनके अध्ययन के लिए राजनीतिशास्त्र तथा अर्थशास्त्र की सहायता भी अपेक्षित होती है ।
वस्तुतः श्री डब्लू. एम. अरबन का यह कथन सत्य है
नीतिशास्त्र क्या होना चाहिए' को निश्चित करने की चेष्टा करता है,किन्तु ऐसा वह 'क्या है' के विशद ज्ञान के आधार पर ही कर सकता है।
और इस 'क्या है' (what is) के विशद ज्ञान के लिए नीतिशास्त्र को
1 Ethics, as moral reflection, institutes a systematic examination
of human ideals and seeks to correlate them with the true or absolute ideal of humanity.
-James Seth : A Study of Ethical Principles, p. 12 2 Ethics seeks to determine 'what ought to be', but it can be so only on the basis of adequate knowledge of 'what is'.
-W. M. Urban : Fundamentals of Ethics, p. 16
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