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________________ अच्छे कर्म का अच्छा और बुरे कर्म को बुरा फल होता है। समय पृच्छक नर की दिशा सम्बन्धी निर्णय पूर्वक विचार कहता हूँ - ३४ यदि पृच्छक ( प्रश्न पूछने वाला) अपने सामने, बांये अथवा ऊपर (ऊंचे) रहकर प्रश्न करे और उत्तरदाता का चन्द्र स्वर चलता है तो कह देना चाहिए कि तुम्हारा कार्य सिद्ध होगा - ३५ यदि पृच्छक नीची दिशा, पीछे अथवा दाहिने तरफ खड़ी रह कर कोई प्रेश्न पूछे और उस समय उत्तरदाता का सूर्य स्वर चलता हो तो भी कह देना चाहिए कि तुम्हारा कार्य सिद्ध होगा - ३६ (दोहा) — पूछे दक्षिण भुज रही, सूरज सुर में बात । तणो प्रसंग | लगन वार तिथि जोग मिलि, सिद्ध कार्य अवदात ।। ३७ ।। वाम भाग रही जो करे, प्रश्न शशि सुर जो पूरण हुए, तो तस काज अभंग ॥ ३८ ॥ पूछे दक्षिण कर रही, शशि सुर में जो कोय | रवि तत्त्व तिथि वार बिन, तस कारज नवि होय ॥ ३६ ॥ अधो पृष्ठ पाछल रही, पृच्छक नो परिमाण । चन्द्र चलत फल तेंह नो, पूरब कथित पहिचान ॥ ४० ॥ चलत सूर सुर जीमरणो पृछं डाबी ओर । चन्द्र जोग बिन तेनो, नत्र कारज विधि कोर ।। ४१ ।। सनमुख ऊर्ध्वं दिशि ही पूछे जो रवि माहि । 2 चंद्र जोग बिल्ले नेहनुं, कारज सीके नाहि ॥ ४२ ॥ अर्थ – यदि कोई हो ( जीमनी) तरफ खड़ा होकर प्रश्न करे और उस समय अपना सूर्य स्वर चलता हो तथा लग्न वार और तिथि का योग भी मिल जावे तो कह देना चाहिए कि तुम्हारा कार्य अवश्य सिद्ध होगा - ३७ बांई (डाबी) तरफ रह कर कोई प्रश्न पूछे तो उस समय यदि अपना चंद्र स्वर चलता हो और लग्न, तिथि, वार का भी सब योग मिल जावे तो कह देना चाहिए कि तुम्हारा कार्य अवश्य सिद्ध होगा – ३८ - यदि प्रश्नकर्ता दाहिनी (जीमनी) तरफ से प्रश्न करे और उस समय अपना चन्द्र स्वर चलता हो तो सूर्य की तिथि और वार के बिना वह शून्य (खाली) दिशा का प्रश्न कदापि सिद्ध न होगा - ३६ Jain Education International 4 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004078
Book TitleSwaroday Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1973
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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