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________________ हे मनुष्य ! तेरे मनको दुष्ट एवं शोक के विचार न दवायें। [RE अर्थात् अन्धकार मालूम होता है और जितना मैं समाधि में चढ़ र विशेष बिलम्भ लगने से भीतर से बेचैन हूं। सो अभी तो मेरा थोड़ा ही अभ्यासः हुआ है, अधिक होने से बेचैनी बन्द हो जाएगी और एक बार मैंने उससे कहकर अपने सामने समाधि लगवाई, उस समय वह मनुष्य जड़ रूप होकर शून्याकार हो गया, और उसके शरीर के अवयव कुछ कठोर प्रतीत होने लगे। यह बात मेरे प्रत्यक्ष देखने में आई, सो मैंने भी पाठकगण को लिखकर दिखाई, जड़ समाधि की रीति बताई, इसमें कुछ मतलब न देखा भाई, इस जड़ समाधि ने तृष्णा भी न मिटाई । यदि किसी को संदेह हो कि भला वह समाधि लगाता है तो तृष्णा क्यों न मिटी? तो हम कहते हैं कि वह राजपूत जिसको हमने समाधि लगाते देखा था, प्रातः काल से लेकर खेती तथा अन्त इतना काम करता था कि शामः तक उस में लगा ही रहता था और रात्रि को समाधि लगाता था और हरिदास जी की समाधि नामक पुस्तक देखकर संदेह मिट जाएगा, क्योंकि रणजीतसिंह के सामने दो तीन अंग्रेज लोगों ने समाधि देखने की इच्छा प्रकट की, उस समय हरिदासजी ने कहा, कि मैं समाधि लगाऊं तो तुम मुझको क्या दोगे? उस समय अंग्रेजों ने जो उत्तर उसको दिया, उस पर वह क्रुद्ध हो गया और समाधि न लगाई। इस रीति से इस जड़ समाधि की प्रक्रिया बताई, यह समाधि हमारे मन न भाई, इस समाधि से तो ईश्वर-भक्ति करके करो चित्त की सफाई, अन्तःकरण शुद्ध होने से ज्ञान-बृद्धि हो जाए, जिससे चेतन समाधि मिलेगी आप से आई। प्रश्न-अापने इस समाधि की प्रक्रिया बताकर बिलकुल श्रद्धा को दूर कर दिया, क्योंकि मनुष्यों में प्रसिद्ध है कि समाधि लगाने वाला तो काल को जीत कर अपनी आयु बढ़ा लेता है और अमर हो जाता है, फिर आपने ऐसा क्यों लिखा है, समाधि को नट विद्या कैसे बताया, तुम्हारे चित्त में कुछ ख्याल न आया ? उत्तर-हे 'देवानिप्रिय ? यह तुम्हारा कथन' शास्त्र और बुद्धि से प्रतिकूल हैं, क्योंकि देखो, प्रथम तो अवतारादि हुए, जिन्होंने कुल सृष्टि की रचना की और सांसारिक व्यवहार और योग आदि का सब जगत् में परिचय कराया, फिर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004078
Book TitleSwaroday Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1973
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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