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________________ . अपना घर बस्ती के अन्दर रखें, धनोपार्जन के लिए उद्यमशील बनें। [ बहुत उपयोगी है । हठयोग के अभ्यासियों के लिये तो यह विशेषोपयोगी है और साधारण व्यक्तियों के लिए भी इसका बहुत सा विभाग अत्यंत उपयोगी है । हम लिख चुके हैं कि स्वरोदय ज्ञान चार बातों के लिये विशेष रूप से साधारण व्यक्तियों के लिये उपयोगी है: - १ - श्रारोग्यता प्राप्ति के लिये, २ - कालादि ज्ञान के लिये, ३ - भविष्य में होने वाली शुभाशुभ घटनाओं को प्रश्न द्वारा अथवा श्वास द्वारा सुख-समृद्धि - शांति पाने के लिये एवं चमत्कारादि प्राप्त करने के लिये । मैंने इस विषय को अपनी तरफ से सरल तथा सुरुचिकर बनाने में सब प्रकार का ध्यान रखा है । फिर भी कई स्थल ऐसे हैं जिनको समझने के लिये सम्यग्दृष्टि योगी गुरु की आवश्यकता है । पुस्तक में चाहे कितना भी खुलासा क्यों न किया जावे, चाहे कितनी सरल भाषा में लिखा जावे, चाहे कितना ही विवेचन किया जावे फिर भी उस विषय की गहराइयों तक पहुंचने के लिये योग्य गुरु की आवश्यकता तो रहती ही है । साधारण से साधारण विषय को समझने के लिये विद्यार्थी को गुरु की आवश्यकता रहती है, यह तो योग का विषय है इसे तो क्रियात्मक - प्रायोगिक (Practical) सीखने की आवश्यकता होने से गुरु की परमावश्यकता है । जैसे विज्ञान के विद्यार्थी के लिये क्रियात्मक प्रयोगों को प्रयोगशाला में जाकर प्रध्यापक (Professor) से सीखना पड़ता है । स्वरोदय (नाक द्वारा निकलने वाले श्वास-प्रश्वास ) में तत्त्वों के ज्ञान के लिये ग्रंथ कर्त्ता ने स्वयं कई रीतियां बतलाई हैं । इसके अतिरिक्त हमने भी अधिक सरल रीतियों को इस ग्रंथ में संग्रहित कर दिया है, विचक्षरण साधक यदि उपयोग देकर ध्यान से स्वरों की पहचान तथा इन स्वरों में तत्त्वों को जानने का अभ्यास कर लेगा तो उसे तत्त्वों को समझने में सरलता हो सकती है । और स्वरों में तत्त्वों का बोध पा लेने के बाद स्वयं ही अपने तथा दूसरों के प्रश्नों का समाधान कर सकता है । फिर भी यदि कोई अपने आप न समझ पावे तो उसे स्वरों में तत्त्वों के जानकार के पास से समझ लेना चाहिए । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004078
Book TitleSwaroday Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1973
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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