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________________ अपनी योग्य शक्ति को कभी छुपाना नहीं चाहिए । गाज बीज दोऊ नहीं, मेघ न खंचे धार । काग वास आवास तस, हंसा गमन विचार ॥ ३६७ ॥ (त) जिस मनुष्य की शीघ्र मृत्यु होने वाली है उसे छ: मास पूर्व ध्रुवतारा तथा अरुन्धती का तारा ( अनुसंधान के लिये देखें पद्य नं० ३६४ में तरिकाओं • का) न दिखलाई देने से समीप मृत्यु कही है । ( इसी रहस्य से भारतवर्ष के विद्वानों ने विवाह के समय वर और कन्या के लिये ध्रुव तारा के दर्शन का विधान किया है ।) यदि विवाह के समय वर या कन्या में से किसी एक को अथवा दोनों को ही उपर्युक्त तारों के दर्शन न हों तो कदापि विवाह की शेष ( बाकी) क्रिया नहीं करानी चाहिये । . • (थ) यदि रोगी के विषय में प्रश्न करने वाला दूत काले अथवा भगवे वस्त्र धारण करके अथवा उस दूत के दांतों में घाव हो, या मुंडन कराये हो अथवा तैल लगाये हो, हाथ में रस्सी लिये हो, उत्तर देने में समर्थ हो और भस्म, अंगार, कपाल, मूसल ये हाथ में लिए हुए हो यदि सूर्यास्त समय प्रावे और वह पैरों में कुछ न पहने हुए हो । इतने प्रकार का दूत पूछने वाला आवे तो रोगी काल रूपी अग्नि से श्राहत होता है अर्थात् मर जाता है । (द) जिस मनुष्य के हाथ के तलुवे पर, जिह्वा के मूल में रुधिर काला हो जाय और जिसके शरीर को नोचने से दुःख न हो वह मनुष्य सात मास जीवेगा । Jain Education International (ध) जिस मनुष्य की बीच की तीन अंगुली न मुड़ें, रोग के बिना ही कण्ठ सूख जाय, और जिसको बार-बार पूछने से जड़ता हो अर्थात् पूर्वापर का अनुसंधान न रहे वह मनुष्य छः महीने में मृत्यु पाता है । (न) जिस मनुष्य के स्तनों का चाम बधिर हो जाय वह मनुष्य पांचवें महीने में मरेगा । जिस मनुष्य के नेत्रों की ज्योति प्रकाशित न हो और दोनों नेत्रों में पीड़ा हो उसकी मृत्यु चौथे मास में अवश्य होती है । जिस मनुष्य के दांत और अण्डकोशों को दबाने से पीड़ा कुछ भी न हो उसकी तीसरे महीने में मृत्यु होगी । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004078
Book TitleSwaroday Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1973
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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