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________________ कुछ लोग, लोक और परलोक दोनों ही दृष्टियोंसे असंयत होते हैं । [१३१ अर्थ - (१४) यदि जिह्वा न दीखे तो एक दिन में, नासिका का अग्र भाग नदीखे तो तीन दिनों में, तारा (दूसरे की आंख की कीकी में अपनी प्रांख की कीकी) न दीखे तो पांच दिनों में तथा भ्रकुटी न दीखे तो नव दिनों में मृत्यु जानना चाहिए - ३६५ (ञ) तिलक देखने के लिये या मांगलिक के हेतु कांच में देखना चाहिये । यदि सिर रहित धड़ दिखलाई पड़े तो १५ दिनों में मृत्यु समझें । मयगुले नमः ॥ प्रथम मन्त्र ॥ मयगुले नमः ॥। दूसरा मन्त्र ॥ (ट) ॐ ऐं श्रीं मर्त्य ॐ श्रीं ऐं क्लीं मर्त्य इस मन्त्र का प्रात:काल उठ कर प्रत्येक दिन पाठ करें। जब पाठ (मन्त्र) विसर जाय तो ६ महीने आयु बाकी समझना चाहिये । (ठ) “ॐ नमो प्रतिचक्रे कुटिवचत्ताय नमः स्वाहा: ।। " इस मन्त्र को १०८ बार पढ़ कर — कपूर, काली मिर्च, भीमसेती नाभ की जड़ इन तीनों को घिस कर आंख में अंजन करें आंसू आवें तो जीवे, प्रांसु न आवें तो मरे । (ड) दोपहर के समय पानी से थाली को भर कर धूप में रखे और उसमें सूर्य के प्रतिबिम्ब को देखे । यदि दक्षिण दिशा से खंडित दिखलाई देवे तो छः मास श्रायु समझें । यदि पश्चिम दिशा से खंडित दीख पड़े तो दो मास आयु समझें । यदि प्रतिबिम्ब में छिद्र दिखलाई देवें ( एक अथवा अनेक ) तो दस दिन जीवे । यदि उत्तर दिशा में खंडित दीख पड़े तो तीन मास की श्रायु समझें । यदि पूर्व दिशा से खंडित दिखलाई देवे तो एक मास की आयु समझें । यदि सूर्य का प्रतिबिम्ब धूएं में व्याप्त दिखलाई देवे तो उसी दिन मृत्यु समझें । यदि पूर्ण बिम्ब दिखलाई दे तो एक वर्ष बाद फिर देखे । जब सूर्य सिर पर वे तब थाली मांज कर पानी भर कर देखें | यदि प्रतिबिम्ब छिद्र वाला दीख पड़े तो एक दिन जोवे । (ढ) निम्नलिखित यन्त्र को आयु का निर्णय करने के लिये प्रभात काल में देखें इस यन्त्र को — चन्दन, कपूर, कस्तूरी, केसर आदि सुगन्धित पदार्थों से फांसी की थाली में लिख कर प्रातः काल प्रभात समय “ॐ नमो भगवते वासु ―― Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004078
Book TitleSwaroday Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1973
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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