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________________ धर्मका मूल विनय है और मोक्ष उसका अन्तिम फल है। दिन में तो शशि स्वर चले, निशा भानु परकाश । चिदानन्द निश्चय अति, दीरघ आयुष तास ॥ ३५८ ॥ अर्थ-(८) यदि सारे दिन में चन्द्र स्वर चले और सारी रात में सूर्य स्वर चले तो बड़ी आयु जाननी चाहिए-३५८ . दिखलाई न दे तो अपनी मृत्यु हो । यदि बांयी भुजा दिखलाई न दे तो पुत्र अथवा स्त्री की मृत्यु हो । यदि दाहिनी [जिमनी] भुजा दिखलाई न दे तो भाई की मृत्यु हो । हृदय न दिखलाई दे तो अपनी मृत्यु हो । पेट का भाग दिखलाई न दे तो धन का नाश हो । गुह्य स्थान दिखलाई न दे तो अपने पिता की मृत्यु हो। दोनों उरु न दिखलाई दें तो व्याधि हो। पग न दिखलाई दें तो विदेश जाना पड़े । यदि सारा शरीर न दिखलाई दे तो तत्काल अपनी मृत्यु हो। २१-विद्या द्वारा काल प्रादि का ज्ञान (१) विद्या द्वारा दर्पण, अंगूठे के नख अथवा भींत (दीवाल) आदि में उतारे हुए देवता द्वारा विधि पूर्वक पूछने से आयु आदि अनेक प्रश्नों का निर्णय प्राप्त हो जाता है। (२) अथ विद्या- "ॐ नरवीरे ठः ठः स्वाहा” ॥ (३) साधन विधिसूर्य ग्रहण अथवा चन्द्र ग्रहण में इस विद्या का १००८ बार जाप करके सिद्ध करे। (४) पश्चात् कार्य पड़ने पर १००८ बार इस विद्या को जप कर दर्पणादि में देवता को उतारें। फिर इस दर्पणादि को एक क्वारी कन्या को दिखलावे । (५) उसमें वह कन्या देवता का रूप देखे तब उसके द्वारा आयुष्य का निर्णय पूछे, वह कन्या सब बतला देगी। (६) इसी प्रकार अन्य प्रश्नों का निर्णय भी पा सकते हैं। (७) अथवा उत्तम साधक के गुण से आकर्षित वह देवता अपने आप निर्णयात्मक तथा संशय रहित त्रिकाल सम्बन्धी आयुष्य ज्ञान बतलावे । अथवा अन्य प्रश्नों का भी समाधान करे । . २२-निरोगी मनुष्य के लिए शकुन द्वारा काल ज्ञान ... रोगी हो अथवा निरोगी, अपने से अथवा पर से, घर में अथवा बाहर शकुन से शुभाशुभ का निर्णय जानें । (१) सांप, बिच्छू, कृमी, चूहे, छपकलियां, (गिरोली, कीडिया (च्युटियां), जुएं, खटमल (माकन), लुता, दीमक (उदही) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004078
Book TitleSwaroday Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1973
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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