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________________ नहीं देखनेवालो ! तुम देखनेवालों की बात का विश्वास करके चलो। [१.१५ ( २ ) जिस मनुष्य का सूर्य स्वर सोलह पहर (दो दिन-रात ४८ घंटे) तक बराबर चलता रहे बीच में बिल्कुल न बदले तो उसको दो वर्ष में मृत्यु होगी - ३५२ (१५) उपर्युक्त महीनों की सक्रांति से यदि दो-तीन-चार दिनों तक एक नासिका में से पवन चले तब जितने वर्षों में मृत्यु कही है उसको पांच से भाग देकर जो उत्तर आवे उसको उतने वर्षों से गुणा करके जो उत्तर आवे उतने वष की आयु जानें । ་ २. पौष्ण काल द्वारा मृत्यु निर्णय सूर्य नाड़ी में पवन पोष्णकाल में यदि आधे दिन तक सूर्य नाड़ी में पवन चले तो चौदहवें वर्ष में मृत्यु हो । यदि सारा दिन सूर्य नाड़ी में पवन चले तो १२ वर्षों में मृत्यु हो । यदि दिन रात (चौबीस घण्टे सूर्य नाड़ी में पवन चले तो दसवें वर्ष में मृत्यु हो । यदि चार दिन रात सूर्य नाड़ी में वायु चले तो चौथे वर्ष में मृत्यु हो, पांच दिन चले तो तीन वर्ष में मृत्यु हो । पौष्ण काल में यदि छह दिन पवन सूर्य नाड़ी में चले तो १०५६ दिन, सात दिन से १००८ दिन, आठ दिन से ९३६ दिन, दस दिन से ७२० दिन, ग्यारह दिन से ६६६ दिन, बारह दिन से ६४८ दिन, तेरह दिन से ५७६ दिन, चौदह दिन से ४८० दिन, पंद्रह दिन से ३६० दिन, सोलह दिन से ३४८ दिन, सत्तरह दिन से ३२४ दिन, अठारह दिन से २८८ दिन, उन्नीस दिन से २४० दिन, बीस दिन से १८० दिन, इक्कीस दिन से १७४ दिन, बाईस दिन से १६२ दिन, तेईस दिन से १४४ दिन, चौबीस दिन से १२० दिन, पच्चीस दिन से ६० दिन, छब्बीस दिन से ६० दिन, सत्ताईस दिन से ३० दिन, अट्ठाईस दिन से १५ दिन, उनतीस दिन से १० दिन, तीस दिन से ५ दिन, इकत्तीस दिन से ३ दिन, बत्ती दिन से २ दिन, तेतीस दिन से १ दिन में मृत्यु होती है । पौष्ण काल में यह सूर्य नाड़ी में पवन चलने का मृत्यु सम्बन्धी जानकारी (निर्णय) Jain Education International For Personal & Private Use Only * www.jainelibrary.org
SR No.004078
Book TitleSwaroday Vignan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1973
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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