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जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा
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मर्यादा - धाक कुल क्रमागत रीते करे छे ।
पृ. २२ अर्थात् सूर्याभ देवे पूजेल प्रतिमा जिनेश्वर देवनी ज प्रतिमा हती एवं छे नहीं, तेम ज एणे धर्म भावना थी के आत्म कल्याणनी भावनाथी प्रतिमा पूजन कर्यु नथी पण रूढि अनुसार करवी जोईती क्रिया तरीके ए क्रिया करी छे । समीक्षा
वर्तमान सूर्याभ देव तो सम्यक्त्वी ज छे ते निर्विवाद छे तेथी ते जिन प्रतिमानु ज पूजन करे अने ते पण धर्मभावनाथी ज करे श्रद्धाथी ज करे तेमा कोई शंका नथी ।
पृ. २४/२→ दाढ़ानी पूजा कुलाचार वंश परम्परागत रिवाज मुजब पण कराय छे। कारण के जे देव सम्यक्त्वी न होय ते पण दादानु पूजन प्रणालिका ने वशवर्ति पण करे छे, एटले मिथ्यात्वी देव पण ए दाढ़ानुं पूजन करे छे, एटले ते जिनेश्वर देव प्रत्येना भक्तिभाव के श्रद्धाथी नहि पण व्यवहार साचववा अर्थे ज सिवाय कांई नहि ।
समीक्षा → दाढ़ाना जल छंटकावथी झगडा मटे वगेरे फलो देखाय तेथी मिथ्यात्वी पण भक्तिभावथी ज पूजा करे ते स्वाभाविक छे ।
पृ. २४ श्री भगवतीजी सूत्रमां श्री जमालिना अधिकारे पाठ
छे के
" जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेणं जत्तेणं चउरङ्गुल वज्जे निक्खमणपयोगे अग्गकेसे कप्पड़ तएणं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं अग्गकेसे पडिच्छइ अग्गकेसे पडिच्छित्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ सुरभिणा गंधोदणं पक्खालित्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहिं मल्लेहिं अच्चेति २ सुद्धवत्थेणं बंधत्ता रयणकरंडसि पक्खिवति हारवारिधारा-सिंदुवार - छिन्नमुत्तावलिप्पगासाइं सुयवियोग दूसहाइं अंसुइ विणिमुयमाणि २ एवं वयासी ।"
"एसणं अम्हं जमालिस्स खत्तियकुमारस्स बहुसु तिहिसुय
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