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जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा परिशिष्ठ-२
२४७
लना,फापति
कहतहासौन्ली
के मूलपाठ,
केवता
रावण मरके चोपानरक गया कहतेरेसादासत्रकेमूलपाने कहा र राव नाई कुलकर्ण और पुत्र रंजीत परके मोक्षगये कहते हो मोर --(२) सूत्र के मूल पाहमें कहा है?--- श ननंजय और मातीअंजनासुंदरीका चरित्र और उनकापुत्र रुनुमान का चरित्रा शमा मात्र में कहा है
शता के वरात्रीसभातीर्थकर श्रीनेमिनाथजी और राजामतिमा
और नवलवका संबंध के सानका सविस्तर शिसूत्रक मूलपाठ का है? र राजामता का नाम उग्रसेन कहते हे सागसत्रके मूलपामें कहा? विपरिहतेचीने पस्त्रीयोकु त्यागी कस्तो गाररशमत्रके नलया में कहा? पिनमा सलवासुदेवकेषिती नासुदेवजी का जीव पूर्वलवमें नंदिरेणनामा
या और तिसने साधुलीकी देश्यानकरी' ऐसा कहते सोना (अ) सूत्रके मूलपान में कहा है ?
....... वसुदेवजीको ७२०० बाय हाईकहते हो साइ) सत्र के मूलपावों को है?
नमाना या प्रजुकी वखतमे (प)कोड यादव कहते हो सो ३२) सूत्रके मूलपाठ में कहा है .... ... श्री कृष्णा जीको वसाई की प्रारिका नगरीके अंदर (७२) कोइघरा कहते हो सार) सूत्रके मूल पाठ में करु
वारिका नगरी के नाहिर(६) कोघर कस्तो मा(३२)सूत्रके मूल पामेक है? पर जरासंध प्रति वासुदेन की बेटी जीवया कहते हे सौ ३१) सूत्रके
मूलपाठ में कहे .........
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