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________________ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा १३७ २१. लोकागच्छीय यति → समीक्षा इसमें डोशीजी ने लोंकाशाह के विषय में प्रशंसा के पहाड़ खड़े किये हैं, उपमाओं के सागर सुखा दिये हैं.. पर इसमें कोई ऐतिहासिक प्रमाण व सच्चाई का सबूत वे नहीं दे सके हैं । साधुओं की निंदा तथा लोंकाशाह की प्रशंसा आगे भी बहुत की हैं । परंतु मान्यताएँ सभी प्रमाण नहीं होती है । चार्वाक आदि भी अपनी मान्यता से चलते हैं । वे मध्यस्थजनों के लिये प्रमाण नहीं हैं । मान्यताओं को आगम इतिहास-तर्क के कसौटी पर कसने पर ही उसी में से सच्चाई प्रगट होती है । लोंकाशाह के काल में संविग्न साधु थे। उनके द्वारा क्रियोद्धार भी हुआ था जो इतिहास के द्वारा स्पष्ट पाया जाता है, जिससे लोंकाशाह के बारे में जो विचार रखे हैं उसमें कोई प्रमाण नहीं है । कल्पना के घोड़े दौडाये हैं । इस विषय की जानकारी के लिये पू. ज्ञानसुंदरजी की 'श्रीमान् लोकाशाह' पुस्तक, पं श्री कल्याण विजयजी की 'पट्टावली पराग संग्रह' अंतर्गत 'लोंकागच्छ और स्थानकवासी' प्रकरण पढ़ने पर लोंकाशाह के काल की स्थिति, लोकाशाह के सही इतिहास का बोध होगा, तब तटस्थ व्यक्ति समझ सकेंगे डोशीजी की मान्यताओं में कितनी असत्यता, कितना कदाग्रह भरा हुआ है। दूसरी बात लोंकाशाह गृहस्थ थे, साधु नही थे। बाद में कलीकाल के प्रभाव से - हुंडा अवसर्पिणी काल में भस्म ग्रह के प्रभाव से उस नगुरे पंथ में भी यति बने । उनमें से बहुत सारे यतियोने सत्य तत्त्व समझने पर संवेगी-मूर्तिपूजकों में चारित्र ग्रहण किया । वर्तमान स्थानकवासी वेशधारी साधु तो लोंकशाह के पंथ में करीब २०० वर्ष बाद(सं. १७०८) में हुए, लोकाशाह के यतिओं द्वारा गच्छ से बहार निकाले धर्मसिंहजी उनमें सर्वप्रथम हुए । अब पाठक साफ समझ सकते हैं कि वर्तमान स्थानकवासी मुनियों के पूर्वज तो लोंकागच्छीय यति ही थे । तो पू. ज्ञानसुंदरजी म. ने अनेकस्थलों में लोकगच्छ के यतियोने किये हुए अर्थ बताकर उनको प्रमाण मानने की आपको सिफारिश की है वह बराबर ही है । डोशीजी ने जो सद्गुणी सेठ का दृष्टांत दिया है, वह बराबर नहीं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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