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________________ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा १३१ में रखना इष्ट हो उसी की टीका तो वे करते ही है, क्वचित् वाचनान्तर के पाठ की भी टीका करते है । टीकाकार दोनों वाचनाओं का परस्पर विरोध मानते ही नहीं है – दोनो वाचनाओं के अविरोधरुप से ही वे टीका करते है (देखिये समवायांग, नौंवा 'समवाय टीका में - 'इदं च व्याख्यानं वाचनाद्वयानुसारेण कृतं, प्रत्येक वाचनयोरेवंविधसूत्रभावादिति') दूसरी बात एक संक्षिप्त और दूसरी बृहद्वाचना हो तो वे बृहद्वाचना को मूल में स्थान देकर उसकी अवश्य टीका करते है। (देखिये – समवायांग१ "कस्यांचिद् वाचनायामपरमपि सम्बन्धसूत्र-मुपलभ्यते । यथा 'इह खलु समणेणं भगवया', इत्यादि तामेव च वाचनां बृहतरत्वाद्वयाख्यास्यामः") समवायांग में वाचना भेद के दूसरे भी अनेक पाठ हैं । कहीं पर भी टीकाकारश्री ने विरोध बताया नहीं है। पोषण-समाधान ही किया है । प्रकृत ज्ञातासूत्र में भी पूज्य टीकाकार श्रीने इसी प्रकार से बृहद्वाचना को ही मूल में लेकर उसकी व्याख्या की है, इसी कारण से उपलब्ध प्राचीन अनेक प्रतियों में बृहद्वाचनाका विस्तृत पाठ ही मूल में मिलता है। डोशीजी अपने स्वभावानुसार वस्तुस्थिति को विपरीत पेश करके लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। बृहद्वाचना की टीका करते टीकाकार श्री संक्षिप्त वाचना का निर्देश भी करते है, उस काल में प्राप्त सभी वाचनाओं के पर्यालोचन बिना टीका विद्वद्भोग्य-महत्वपूर्ण नहीं गिनी जाती, अधूरी कहलाएगी । इसलिए संक्षेपरुचिवाले जीवों के उपयोगी 'जिणपडिमाणं अच्चणं करेइत्ति एकस्यां वाचनायां एतावदेव दृश्यते' यह संक्षिप्त वाचना बताकर बाद में टीका में वाचनान्तर का पाठ दिया है 'पहाया जाव.. तहेव भाणियव्वं जाव धूवं डहई' जो ऊपर के मूलपाठ से सामान्य शब्दभेद से प्रायः मिलता है। इसमें 'तहेव भाणियव्वं जाव धूवं डहइ' यह जाव से बताया हुआ 'धूवं डहइ' तक का विस्तृत वर्णन का पाठ संक्षिप्त वाचना में नहीं है ऐसा टीकाकार का आशय स्पष्ट प्रतीत होता है । वाचनान्तर में इतना ही फरक है । बाद में बताया हुआ वामं जाणुं अञ्चेति -नमोत्थुणं.. इत्यादि पाठ दोनों वाचना में है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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