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________________ १०७ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा १४. देवाणं आसायणाए → समीक्षा इसमें यद्यपि देवताओं का अस्तित्व अस्वीकार, अवर्णवाद देवो की आशातना है, तथापि उपलक्षण से देव-देवी प्रतिमा की आशातना का भी इसी में समावेश होगा, स्थापना सत्य के हिसाब से देव की मूर्ति की आशातना भी देव की आशातना ही गिनी जाएगी । तुम्हारे पिता के चित्र को वंदन करो, अगर नमस्कार न करो तो "पैरों तले रोंदो" यह कुतर्क नहीं है । क्योंकि आपके हिसाब से पिता का चित्र पूजनीय नहीं है । पिता से उसका किसी प्रकार का संबंध नहीं है, वह जड़ है । तो जड़ पत्थर को पैरों तले रोंदने में आप हिचकिचाते नही है तो चित्र भी उसके समान है उसमें हिचकिचाहट क्यों ? और उसके बचाव में चेतन का दृष्टांत देकर लोगों को क्यों भ्रम में डालते हो ? दृष्टांत दार्टीतिक दोनो में समानता नहीं है, चित्र जड़ है, विपरीत श्रद्धान्वाला पुरूष चेतन है । इसलिए खंडन में दिया हुआ दृष्टांत कुतर्क है, भ्रम में डालने के आशय से दिया है । जड़ की समानता जड़ से है । चित्र को जड़ मानो अथवा जड़ पत्थर के समान मानो तो दृष्टांत इस प्रकार होगा - "यह पत्थर है इसे नमस्कार करो अथवा पैरों तले रोंदो सामनेवाला पैरो तले रोंदने में किसी भी प्रकार से हिचकिचाहट नहीं करेगा? अब सोचिए कुतर्क कौन सा, मूर्तिपूजकों का ऊपर दिया हुआ या आपने खंडन मे दिया हुआ ? उस तर्क का उत्तर स्थानकवासी दे ही नहीं पाएंगे । क्योंकि स्थापना निक्षेप की किसी न किसी रूप से श्रद्धा सबके दिल में है, स्थानकवासी संत आगमदिवाकर श्रीचौथमलजी म.के ग्रुप की फोटो पत्रिका में घोषणा कर के बाटी गई थी। आज भी स्थानकवासी संत अपनी फोटो-फोटो वाले लोकेट अपने भक्तों में चाव से बाँटते हैं । विरोध सिर्फ जिन भगवान की फोटो-आकृति-मूर्ति से ही है, ऐसा क्यों ? भले वह मुंह से ना बोले परंतु उनका हृदय इन्कार नहीं कर सकता । उदयपुर से चिंतित मुद्रावाले स्थानकवासी मुनि के चित्र वाली कोई पुस्तिका बाहर पड़ी, जिससे स्थानकवासी समाज में खलबली मच गई ऐसा सुना है । उसमें चित्र पूज्यं नही है, जड की कोई असर नही होती है इत्यादि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004077
Book TitleJainagam Siddh Murtipuja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year2014
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size10 MB
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