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________________ ** १८. अनुकंपा १९. जीवदया २०. ब्याज आदि की आय २१. टैक्स (कर) आदि खर्चा २२. पू. साधु-साध्वीजी के कालधर्म के बाद शरीर के अग्निसंस्कार- अंतिम यात्रा निमित्तक बोलियाँ २३. जिनभक्ति हेतु अष्टप्रकारी पूजा की सामग्री संघ को समर्पित करने की बोलियाँ (केशर-चंदन खाता) २४. पर्युषण में जन्म वाचन प्रसंग पर बुलवाई जाती बोलियाँ २५. उद्यापन- उजमणा २६. आचार्य आदि पद प्रदान प्रसंग पर बुलवाई जाती बोलियाँ २७. पुजारी के वेतन के बारे में २८. गुरुमंदिर-गुरुमूर्ति आदि संबंधी बोलियाँ २९. पू. साधु-साध्वीजी भगवंत कालधर्म को पाते हैं (स्वर्गवासी बनते हैं) तब बोली जाती बोलियाँ ३०. देव-देवियों के बारे में समझ ३१. अंजनशलाका-प्रतिष्ठा बोलियों की आय कौन से खाते में जाएगी एवं उसका उपयोग क्या होगा ? एक शास्त्रीय मार्गदर्शन ३२. गुरुमंदिर में गुरुमूर्ति/पादुका प्रतिष्ठित करने संबंधी बोलियाँ ३३. रथयात्रा : प्रभुजी के वरघोडे (शोभायात्रा) संबंधी बोलियाँ ३४. मंदिरजी या मंदिरजी से अन्यत्र किसी भी स्थान में परमात्मा के निमित्त जो भी बोलियाँ बुलवाईं जाएँ वे सभी 'देवद्रव्य' ही गिनी जाती है । ३५. अलग-अलग बोलियों की विगत ३६. दीक्षा प्रसंग पर की जाती बोलियाँ ३७. सूत्र-ग्रंथ वाचन प्रसंग पर बुलवाई जाती बोलियाँ ३८. जिनमंदिर शिलास्थापन प्रसंग की बोलियाँ Jain Education International IV For Personal & Private Use Only 2 2 2 2 १७ १७ १८ १८ १८ D2222& १८ २० २० २१ २२ २४ २४ २६ २७ ३० ३१ mm mm m ३२ m 5 ३३ ३५ 99 ३७ ३७ wwww.jainelibrary.org
SR No.004076
Book TitleDharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhwaj Parivar
PublisherDharmdhwaj Parivar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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