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देवद्रव्य
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४३ - भगवान के मौसारे (मामेरु) में आई चीजें ४४ - जन्माभिषेक के बाद भगवान के घर में इन्द्र
द्वारा की गई ३२ कोटि सुवर्णादि को वृष्टि ४५ - ध्वजादण्ड का अभिषेक करने को ४६ - कलश का अभिषेक करने की ४७ - ध्वजादण्ड एवं कलश की चंदनपूजा करने की ४८ - ध्वजादण्ड एवं कलश की पुष्पपूजा करने की ४९ - ध्वजादण्ड की आरती करने को ५० - ध्वजादण्ड को पोखणा करने की ५१ - पांचों कल्याणक मनाने हेतु वरघोड़े (शोभायात्रा) के तमाम
लाभ लेने की ५२ - जिनमंदिर पर ध्वजा चढ़ाने की ५३ - जिनमंदिर पर कलश (अंडा) स्थापना करने की ५४ - जिनमंदिर का द्वारोद्घाटन करने की ५५ - जिनमंदिर में कुंकुम के हस्तचिह्न (थापा) करने की ५६ - जिनमंदिर की तीनों दिशा में मंगलमूर्तियाँ स्थापित करने की । ५७ - जिनमूर्ति निर्माण (भराने) की ५८ - चैत्य अभिषेक करने की ५९ - प्रभु को प्रतिष्ठित (गादीनशीन) करने की ६० - तोरण बांधने की एवं वांदने की ६१ - घण्टानाद करने की ६२ - मंगल कुंभ स्थापना करने की ६३ - चौबीस प्रहर (७२ घण्टे) दीपक स्थापना करने की ६४ - मूलनायक आदि प्रभु की अष्टप्रकारी पूजा करने की
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धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ?
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