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से अन्य किसी भी कार्य में इसका उपयोग नहीं कर सकते । आयंबिल हेतुक द्रव्यों में से एकाशन करनेवालों को भक्ति भी निषिद्ध है । ..
आयंबिल भवन का निर्माण श्रावक स्वद्रव्य से करें । लकी ड्रॉ या लॉटरी जैसी अहितकर प्रथा द्वारा द्रव्य एकत्र कर भवन न बनाएँ ।
यह भी केवल धार्मिक पवित्र द्रव्य है । आयंबिल भवन का उपयोग भी सांसारिकव्यावहारिक-सामाजिक किसी भी कार्य में नहीं करना चाहिए । इसमें केवल धार्मिक कार्य ही कर सकते हैं ।
१५ - धारणा, उत्तरपारणा, पारणा, नवकारसी खाता
पौषधवालों को एकाशना एवं प्रभावना आदि खाता उपरोक्त नाम वाले या अन्य तप-जप, तीर्थयात्रा आदि धार्मिक कार्य करने वाले सार्मिकों की भक्ति करने हेतु जो द्रव्य होता है, वह द्रव्य दाता की भावना अनुसार उस-उस खाते में इस्तेमाल करना चाहिए ।।
इसमें वृद्धि हो तो यह द्रव्य सातों क्षेत्रों में जहाँ-जहाँ जरूरत हो वहाँ इस्तेमाल किया जा सकता है । पर किसी भी सार्वजनिक कार्य में यह द्रव्य नहीं लगा सकते । क्योंकि यह भी केवल धार्मिक क्षेत्र का द्रव्य है । नोंध : साधु-साध्वीजी के तप का पारणा करवाने की बोलियाँ बुलवाना योग्य नहीं
है । अज्ञानवश कहीं किसी ने बोली हो तो वह द्रव्य ‘साधु-साध्वी संबंधी' होने से गुरुद्रव्य के तौर पर जिनमंदिर जीर्णोद्धार या नवनिर्माण हेतु देवद्रव्य में ही जमा कराएँ ।
___ १६ - निश्राकृत दानवीरों द्वारा विशिष्ट प्रकार के धार्मिक कार्य हेतु दिए गए द्रव्य का उपयोग उसी कार्य हेतु हो सकता है । उसमें वृद्धि हो तो शास्त्रीय मर्यादा अनुसार ऊपर के खातों में जा सकता है ।
१७ - कालकृत खास पोषदसम, अक्षयतृतीया, जिनमंदिर वर्षगांठ (सालगिरह) आदि पर्वो के निश्चित दिनों में इस्तेमाल करने हेतु दाताओं ने जो द्रव्य दिया हो, उसका उपयोग उन दिनों संबंधी कार्य में ही करना चाहिए । | १६
धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ?
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