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________________ निकला द्रव्य उन - उन खातों में आय के अनुसार इस्तेमाल करें । * सातों क्षेत्रों की संयुक्त पेटी होने पर, उसमें से निकला द्रव्य सातों क्षेत्रों में समान भाग कर इस्तेमाल करें । * सातों क्षेत्रों हेतु संयुक्त चंदा किया गया हो तो उसे भी समान भाग कर सातों क्षेत्रों में लगाना चाहिए। * इसके अलावा चंदा करते समय जिस तरह से घोषणा की जाती है, उसके आधार पर इसका उपयोग करें। * वेतन-मानदेय आदि साधारण का खर्चा इस द्रव्य से न निकालें । * अनुकंपा या जीवदया में इस द्रव्य का उपयोग नहीं कर सकते । नोंध : सातक्षेत्र की पेटी-भंडार, जीवदया की पेटी, साधर्मिक भक्ति की पेटी, पाठशाला एवं आयंबिल भवन की पेटी आदि जिनमंदिर के अंदरूनी भाग में नहीं रख सकते । उन्हें उपाश्रय में या जिनमंदिर के बाहर किसी सुरक्षित सुयोग्य स्थान पर रखें । यह खास ध्यान में रखें। १३ - उपाश्रय-पौषधशाला-आराधना भवन उपाश्रय निर्माण हेतु : दानवीरों द्वारा प्राप्त दान, उपाश्रय के विभिन्न विभागों पर एवं उपाश्रय पर नामकरण करने हेतु आई राशि, उपाश्रय खाते की पेटी-भंडार से निकली राशि तथा उपाश्रय के उद्घाटन की बोली की आय आदि उपाश्रय खाते का द्रव्य गिना जाता है। श्रावकों को चाहिए कि धर्म आराधना करने हेतु उपाश्रय स्वद्रव्य से बनवाएँ । उपाश्रय यह श्रावक-श्राविकाओं की धार्मिक आराधना करने हेतु पवित्र स्थान है । इसका उपयोग धार्मिक कार्य करने हेतु ही किया जाना चाहिए । व्यावहारिक-स्कूल, कॉलेज या राष्ट्रीय-सामाजिक प्रवृत्तियाँ-समारोह तथा शादी-विवाहादि सांसारिक किसी भी कार्य में इस मकान का उपयोग नहीं कर सकते । इन कार्यों के लिए उपाश्रय, पौषधशाला, आराधना भवन किराये से भी नहीं दे सकते । इन धर्मस्थानों का कब्जा कोई नहीं ले सकता, क्योंकि ये जैनशासन के अबाधित स्थान हैं और रहेंगे। | १४ धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करें ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004076
Book TitleDharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhwaj Parivar
PublisherDharmdhwaj Parivar
Publication Year2012
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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