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श्री सात क्षेत्र परिचय 9-जिनप्रतिमा क्षेत्रः - २-जिनमंदिर क्षेत्रः
"जिन पडिमा जिन सारिखी" यह पंक्ति स्वयं कह रही है कि - साक्षात् तीर्थंकर की गैरहाजरी में जिनप्रतिमा जिनेश्वर तुल्य है ।
शासन के सात क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण पहला क्षेत्र जिनप्रतिमा क्षेत्र है । साक्षात् तीर्थंकर को पाकर आत्मकल्याण करने वाली आत्माओं से भी जिनप्रतिमा का आलंबन लेकर
आत्मकल्याण करने वाली आत्माएं कई गुना ज्यादा है । साक्षात् सदेही तीर्थकर तो एक समय में एक स्थान पर ही उपकार कर सकते हैं, पर अन्य सभी क्षेत्रो में भव्यात्माओं पर तीर्थंकर की प्रतिमा ही उपकार करती है । साक्षात् तीर्थंकर मध्यलोक में, उसमें भी अढ़ाईद्वीप में सुनिश्चित क्षेत्र में ही होते हैं । लेकिन प्रभु-प्रतिमा तीनों लोक में सदा होती है । साक्षात् तीर्थंकर शाश्वत नहीं होते, पर देखें तो जिन-प्रतिमा शाश्वत भी होती है । __ सदेह जिनेश्वर की भक्ति जैसे यावत् तीर्थंकर पद का फल देती है, वैसे ही जिन-प्रतिमा की भक्ति भी आत्मा को तीर्थंकर पद तक पहुंचाती है । ____ एसे अनेक दृष्टिकोण से जिन-प्रतिमा का महत्त्व प्रस्थापित होता है । महत्त्वपूर्ण इस क्षेत्र की भक्ति के अनेक प्रकार हैं ।
प्राचीन महिमावंती प्रतिमा की उच्चतर द्रव्यों से भक्ति, आपत्ति काल में सर्वांगीण सुरक्षा और प्रभु-प्रतिमा की अष्ट प्रकारी पूजा नियमित होनी चाहिए । जहाँ भक्ति के आलंबनभूत प्रभु की प्रतिमा न हो, वहाँ प्राचीन या अभिनव प्रतिमा की स्थापना करनी चाहिए । __जिनप्रतिमा की सुरक्षा के लिए, जिनप्रतिमा की भक्ति के स्थानरूप जिनमंदिर बनाना, प्राचीन जिनप्रतिमा जीर्ण हुई हो, तो उत्तमद्रव्यों से लेपादि करना; वह भी जिनमूर्ति क्षेत्र की भक्ति है ।
जिनमंदिर, दूसरे नंबर पर महान क्षेत्र है । जिनमंदिर आत्म स्वरूप और स्वाभाविक अनंत सुख पाने का राजप्रासाद है । दुःख से व्याकुल मन को प्रसन्नता से भरने के लिए और सांसारिक आधि-व्याधि-उपाधि से बचने के लिए सर्वोत्तम स्थान है।
तीर्थ स्वरूप प्राचीन जिनमंदिर को सुचारुसंभालना, उसका जिर्णोद्धार करना, तीर्थमंदिर की महिमा बढ़ाना, जिनमंदिर की स्वद्रव्य से महापूजा रचाना और जिस क्षेत्र में आवश्यकता हो वहाँ नूतन जिनमंदिर का निर्माण करना; ये सब भक्ति के मार्ग है ।
जिनमूर्ति - मंदिर की भक्ति से सम्यग्दर्शन पाना और सम्यग्दर्शन से जल्द से जल्द मुक्ति को पाना, यह तुम्हारा - हमारा मुख्य और अंतिम ध्येय होना चाहिए ।
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