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खम्भात, अहमदाबाद, महेसाणा, पाटण, चाणस्मा, भावनगर आदि श्रीसंघ स्वप्नों की बोली की आय का किस किस प्रकार उपयोग करते हैं, वह आप के ध्यान में हो तो बताने की कृपा करें ।'
शान्ताक्रुझ श्रीसंघ की तरफ से लिये गये पत्रों के उत्तर रूप में पू. पाद सुविहित शासन मान्य आचार्य भगवन्तों की तरफ से जो जो प्रत्युत्तर श्रीसंघ के प्रमुख सुश्रावक जमनादास मोरारजी जे. पी. को प्राप्त हुए, वे सब पत्र यहां प्रकाशित किये जा रहे हैं । उन पर से स्पष्ट रूप से प्रतीत होगा कि स्वप्नों की आय में वृद्धि करके प्राप्त की गई रकम भी साधारण खाते में नहीं ले जाई जा सकती है ।' इस प्रकार सचोट एवं दृढ़ता के साथ पू. पाद शासनमान्य आचार्य भगवन्तों ने फरमाया है । ऐसी स्थिति में जो वर्ग सारी स्वप्नद्रव्य की आय को साधारण खाते में ले जाने की हिमायत कर रहा है, वह वर्ग शास्त्रीय सुविहित मान्य परम्परा के कितना दूर-सुदूर जाकर, श्री वीतरागदेव की आज्ञा के आराधक कल्याणकामी अनेक आत्माओं का अहित करने की पापप्रवृत्ति को अपना रहा है, यह प्रत्येक सुज्ञ आराधंक आत्मा स्वयं विचार कर सकता है ।
पू. पाद आचार्यदेवादि मुनिवरों के अभिप्राय
ता. २३-१०-३८ 'अहमदाबाद से लि० पूज्यपाद आराध्यपाद आचार्यदेव श्रीश्रीश्री विजयसिद्धि सूरीश्वरजी महाराजश्री की ओर से तत्र शान्ताक्रुझ मध्ये देवगुरु पुण्य प्रभावक सुश्रावक जमनादास मोरारजी वि० श्रीसंघ समस्त योग्य ।' ___ मालूम हो कि आपका पत्र मिला । पढ़कर समाचार जाने । पूज्य महाराजजी सा. को दो दिन से ब्लड प्रेशर की शिकायत हुई है । इसलिये ऐसे प्रश्नों का उत्तर देने की झंझट से दूर रहना चाहते हैं । इसलिए ऐसे प्रश्न यहाँ न भेजें क्योंकि डाक्टर ने मगजमारी करने
और बोलने की मनाही कर रखी है । तो भी यदि हमारा अभिप्राय पूछते हो तो संक्षेप में बताते हैं कि 'स्वप्नों की आमदनी के पैसे हम तो देवद्रव्य में ही उपयोग में लिखाते हैं । हमारा अभिप्राय उसे देवद्रव्य मानने का है । अधिकांश गांवों या नगरों में उसे देवद्रव्य के रूप में ही काम में लेने की प्रणाली है ।'
| धर्मद्रव्य का संचालन कैसे करे ?
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