________________
५०. भगवान के अंग से उतरा हुआ वासक्षेप श्रावक ले सकते हैं ? ५१. स्त्री-पुरुषों का एक साथ सामायिक रखना क्या उचित है ? ५२. ध्वजा की परछाई घर पर गिरे तो दोषरूप है या नहीं ? ५३. निर्माल्य पुष्पों का विसर्जन कैसे किया जाए ?
५४. पूज्य साध्वीजी महाराज पुरुषों के समक्ष प्रवचन कर सकते हैं ?
५५. साधर्मिक-वात्सल्य में बूफे-भोज कर सकते हैं ?
५६. वीशस्थानक की पूजा करने के बाद अरिहंत की पूजा हो सकती है या
नहीं ?
५७. धर्म क्षेत्र की रकम धर्म क्षेत्र छोड़ अन्य क्षेत्र में लगा सकते हैं ? ५८. भगवान की भिक्षा-झोली बनाकर रुपये-पैसे लेना उचित है ? ५९. धार्मिक या अन्य फटी हुई किताबें कहाँ परठावें ? ६०. मूर्ति के चक्षु, श्रीवत्स, कपाली कैसे लगाए जाएं ?
•
•
• परिशिष्ट- ७ शास्त्रानुसारी महत्त्वपूर्ण निर्णय : स्वप्नों की बोली का मूल्य बढ़ाकर यह वृद्धि साधारण खाते में नहीं ले जा सकते हैं । १०३
परिशिष्ट-८ स्वप्न की आय देवद्रव्य में ही जाती है ।
१११
१३२
१३८
१४५
• परिशिष्ट- ९ देवद्रव्य की रक्षा तथा सदुपयोग कैसे करना चाहिए ? परिशिष्ट १० प्रभुपूजा स्वद्रव्य से ही क्यों ?
परिशिष्ट-११ वर्तमान की समस्या का शास्त्रसम्मत समाधान
•
परिशिष्ट-६ देवद्रव्यादि सात क्षेत्रों की व्यवस्था का अधिकारी कौन ? एक कोथली से व्यवस्था दोषित है। धर्मद्रव्य के भक्षण, उपेक्षा, विनाश के दारुण परिणाम-शास्त्राधार से ।
•
•
साधारण द्रव्य की आमदनी के उपाय कौन-कौन से ? धर्मद्रव्य अन्य संघों को देना चाहिए या नहीं ? क्या ट्रस्ट बनाना जरूरी है ?
• परिशिष्ट-१२ जिनमंदिर के शिखर पर कटहरा लगाना क्या जरूरी है ?
वि.सं. १९९० ता. ५-४-१९३४ गुरुवार मुनि सम्मेलन का पट्टक
क्या देवद्रव्य की राशि साधर्मिक भक्ति, स्कूल आदि में इस्तेमाल हो सके ?
Jain Education International
९४
VIII
For Personal & Private Use Only
१०२
१४५
१४७
१४९
१५०
१५३
wwwww.jainelibrary.org.