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________________ ( १६४ ) द्वार लेख: संवत् १४७४ वर्षे श्रावणमासे शुक्लपक्षे तिथि पंचमी वार शनौ षरतरपषे भं० लूणासंताने भं० दूला हापलसंताने भं० मूलापुत्र भीमा हीरुण वाल्हण म० हीरा | ( १६५ ) पार्श्वनाथ: ॥ ९० ॥ संवत् १४७५ ज्येष्ठ सुदि ७ गुरुवारे श्रीमालज्ञातीय मंत्री 'णूंप्रासुत नंदिगेस । सुत पुत्र सा० आसासुश्रावकेण श्रीपार्श्वनाथबिंबं स्वपुण्यार्थे (र्थं) कारितं श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनवर्द्धनसूरिभिः प्रतिष्ठितं॥ ( १६६ ) शान्तिनाथ- पञ्चतीर्थी : संवत् १४७६ वर्षे माघ वदि ११ तिथौ श्रीमालान्वये ढोरगोत्रे सा० तोल्हा तद्भार्या आ० माणी तत् पुत्र सा० महराज श्रीशांतिनाथबिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगच्छे भ० श्री जिनचन्द्रसूरिभिः ॥ (१६७) शान्तिनाथ - पञ्चतीर्थी : ( सपरिकर ) ॥ सं० १४७७ वर्षे माघ सुदि ६ गुरौ काणागोत्रे ठाकुर समरसिंहेन उदयसिंहयुतेन स्वपितृ ठाकुर अमरसिंह पुण्यार्थं श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं खरतरगच्छे श्रीजिनवर्धनसूरिभिः ॥ शुभं भवतु पूजकस्य मंगलमस्तु ॥ श्री ॥ ( १६८ ) शान्तिनाथ पञ्चतीर्थी : ( सपरिकर ) सं० १४७७ वर्षे माघ सुदि ६ गुरौ काणागोत्रे व० समरसीहेन पु० पहिराजसुतेन पितृव्य पुण्यार्थं श्रीशांतिनाथ प्रतिष्ठितं परतरगच्छे श्रीजिनवर्धनसूरिभिः ॥ शुभं भवतु ॥ ० ॥ ( १६९ ) चन्द्रप्रभ-पञ्चतीर्थी: सं० १४७८ वर्षे वैशाख सुदि ३ शुक्रे उसिवाल ज्ञातीय लोढा गोत्रे सा० डाहा भार्या गेलाही पु०स० खल्ह भार्या खेताही पु० वीरधवल निमित्तं लघु भात्रि सा० वीरदेवेण श्रीचन्द्रप्रभस्वामिबिंबं कारापितं प्रतिष्ठितं रुद्रपल्लीयगच्छे भट्टारिक श्रीहर्षसुन्दरसूरिभिः ( १७० ) अम्बिका - मूर्ति: संवत् १४७८ वर्षे बुथड़ा गोत्रीय सा० भीमड़ पुत्र सा० समरा श्रावक रा पुत्र दवा दद सहितेन श्री अंबिकामूर्त्तिः कारिताः प्रतिष्ठिता श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनराजसूरिपट्टे श्रीजिनवर्द्धनसूरिभिः । १६४. देहरी क्रमांक १७ के दरवाजे के ऊपर लेख : अ० प्र० जै० ले० सं०, भाग ५, लेखांक १२५ १६५. ऋषभदेव जी का मंदिर, देवकुलपाटक : देवकुलपाटक- विजयधर्मसूरि, लेखांक ७; पार्श्वनाथ देरासर, देलवाड़ा : प्रा० ले० सं०, लेखांक ११५; पू० जै०, भाग २, लेखांक १९८७ लेखांक १२०६ १६६. आदिनाथ का नया मंदिर, जयपुर: पू० जै०, भाग २, १६७. संभवनाथ मंदिर, मोतीपोल, अहमदाबाद : पारीख और शेलेट; जै० इ० इ० अ०, लेखांक ९७ १६८. संभवनाथ मंदिर, कामेश्वरपोल, अहमदाबाद : पारीख और शेलट; जै० इ० इ०अ०, लेखांक ९६ १६९. शांतिनाथजी का मंदिर, हनुमानगढ़ : ना० बी०, लेखांक २५३५ लेखांक १७६८ १७०. सुपार्श्वनाथ जिनालय, नाहटों में, बीकानेर: ना० बी०, (३८) खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह: Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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