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________________ अगाउ सररविमसमयककारताददावलसतितिाव प्रीमीपंधरवामिTHERaाराधीवमानस्तावत्पहागलपना इलेनरामावता कवितपासात्वावकर संक्शवावस्वरता श्रीनि7af जनवंदस्वाशिनत्य कपादक १४५मावाद नवागायत्पा पाति अजयादवस्तारात वामुलक विदरायदवार अणावकामविदित करणविडकि रूपनशा नावकमालिन विशक्ति मिनावका मासिका ककलरिव विनयगर मदतीला हिनदस्त वालादिम हतीयाणपुलिस रामंडितनालमा शहडा मउंदवमादितपदा वरूपशहरुमाऊनवर त्यहवालाउलवा ताप्रागतिधारावा मानश्वरमतित्व धातूनपतावनाशतत्वहजाराहावाबुहराजगढमाशाति कामिक नागार तरह ".... इतिहास पढना, इतिहास की घटनाओं का कहना, सुनना बहुत आसान है पर सदात्री इतिहास लिखना अत्यन्त श्रमसाध्य दुरूह कार्य है। हजारों वर्ष पूर्व घटित घटनाओं को १२साना आँखों देखी घटना की भाँति लिखना लेखक के लिए चुनौतीपूर्ण है। इसमें उसके धीरज की दिसावध कसौटीभी है।... .... परम विद्वान् महोपाध्याय श्री विनयसागरजी ने इस कठिन बीड़े को उठाया ही प्रासिक नहीं बल्कि इसे सफलतापूर्वक संपन्न करके साहित्य जगत कोलाभान्वित किया है।...." उनदीमा - उपाध्याय मणिप्रभसागर निमाणित "....महोपाध्याय विनयसागरजी ने अथक परिश्रम करते हुए इस ग्रन्य के माध्यम से हमें समु६रण खरतरगच्छ के इतिहास के सागर में किनारे उपस्थित होने का, सागर को समझने और उसकी गहराईयों को जानने का अनमोल अवसर प्रदान किया है।..." नवीक - महोपाध्याय ललितप्रभ सागर कसला "... प्रामाणिक, शोधदृष्टि से संपन्न, सर्वांगीण इतिहास-ग्रन्थ इस देश में जैन धर्म के इस श्रीरत्त महत्त्वपूर्णगच्छ की कीर्ति को अमर करने में प्रमुख आधारशिला की भूमिका निभाएगा और सदियों तक नई पीढ़ियों के लिए आकर ग्रन्थ बना रहेगा।..." तालाला -देवर्षि कलानाथ शास्त्री मानानुरंडा राष्ट्रपति-सम्मानित "...साहित्य वाचस्पति महोपाध्याय श्री विनयसागरजी ने खरतरगच्छ प्रतिष्ठालेखसंग्रह मारिअरम नामक पुस्तक लिखकरनिःसन्देह एक अभाव की पूर्ति की है। उनकी यह अमर कृति है जो मन पदव ऐतिहासिक प्रश्रों को हल करने में सक्षम है।..." शीलता - प्रो. (डॉ.) कमलचन्द सोगाणी नवरतदा। पूर्व प्रोफेसर दर्शनशास्त्र सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर डिन पिन निन्दा त्यह नघन सातत्य इराकमान EMAI नa हितला नगर नात गुलग ढा मधी मत न्यावा क्षण जापत्तावादहवादातर ताचाकतनात उघमा सार्या सरटादात्मानज्ञाया सामानानदहसरामराम Jairdeationernational le usely www.jaineliborg
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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