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________________ (२७४०) संभवनाथः सं० २०४१ माघ शुक्ल १४ बालोतरानगरे दादावाटिकायां जैनश्वे० खरतरगच्छसंघेन कारापितं श्रीसंभवनाथजिनबिंबं प्रतिष्ठापितं खरतरगच्छाचार्य जिनकांतिसागरसूरि मणिप्रभसागरादिभिः (२७४१) मूलनायक-विमलनाथः वि० सं० २०४२ ज्येष्ठ शुक्ल १२ बाड़मेर नगरे श्रीविमलनाथ चौमुखमंदिरे जिनबिंबानि दादागुरुदेव प्रतिमा, भैरवबिंबं यक्ष- यक्षिणीबिंबे प्रतिष्ठापितं खरतरगच्छाचार्य जिनकांतिसागरसूरिभिः। सं० २०४२ ज्येष्ठ शुक्ल १० रात्रौ शुभलग्ने अंजन कारितं । शुभं भवतु श्रीसंघस्य। (२७४२ ) पार्श्वनाथः सं० २०४२ ज्ये० सु० १२ बाड़मेरनगरे पार्श्वनाथजिनबिंबं प्रतिष्ठापितं खरतरगच्छाचार्य जिनकांतिसागरसूरिभिः (२७४३) जिनकुशलसूरिमूर्तिः सं० २०४२ ज्ये० सु० १२ बाड़मेर नगरे दादासाहेब कुशलगुरुदेवबिंब प्रतिष्ठापितं खरतरगच्छाचार्य जिनकांतिसागरसूरिभिः (२७४४) कल्याणसागरसूरिमूर्तिः ___ सं० २०४२ ज्येष्ठ सुदि १२ बाड़मेरनगरे दादाकल्याणसागरसूरिजी की मूर्त्तिबिंब प्रतिष्ठापितं खरतरगच्छाचार्य जिनकांतिसागरसूरिभिः ___ (२७४५) शिलालेखः ___वि० सं० २०४२ ज्येष्ठ शुक्ल १२ शुक्रवासरे बाड़मेर नगरे श्रीगौड़ीपार्श्वनाथ, दादागुरुदेव, नाकोड़ा भैरवादि बिंबानि प्रतिष्ठापितं खरतरगच्छाचार्य जिनकांतिसागरसूरिभिः शुभं भवतु श्रीसंघस्य। (२७४६) शिलालेखः प० पू० युगप्रभावक आचार्य श्रीजिनकांतिसागरसूरीश्वरजी म. सा० के आशीर्वाद से प० पू० प्रवर्तिनी प्रेमश्रीजी म. सा. की प्रशिष्या साध्वी सुलोचनाश्रीजी म० सा० साध्वी श्रीसुलक्षणाश्रीजी म० सा० के सदुपदेश से हुआ। प्रतिष्ठा सं० २०४२ ज्येष्ठ शुक्ला १२ शुक्रवार तारीख ३१-५-१९८२ २७४०. संभवनाथ जी का मंदिर, बालोतरा: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक २१७ २७४१. जैनमंदिर, दाणीबाजार, बाड़मेर: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक १९३ २७४२. गौड़ी पार्श्वनाथ जी का मंदिर, बाड़मेर: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक १६६ २७४३. गौड़ी पार्श्वनाथ जी का मंदिर, बाडमेर: बा० प्रा० जै०शि०, लेखांक १६८ २७४४. गौड़ी पार्श्वनाथ जी का मंदिर, बाड़मेर: बा० प्रा० ०शि०, लेखांक १६७ २७४५. गौड़ीसा पार्श्वनाथ जी का मंदिर, बाड़मेर: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक १६९ २७४६. गौड़ी पार्श्वनाथ जी का मंदिर, बाड़मेर: बा० प्रा० जै०शि०, लेखांक १७० (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह: (४७१) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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