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________________ (२७३४) विमलनाथः सं० २०३७ वै० सु० ३ श्रीविमलनाथजिनबिंबं अगरचंद भार्या पनी सुपुत्र धर्मचंद्र विजयचंद नाहटा परिवार श्रेयो) कारितं प्रतिष्ठितं श्रीकैलाशसागरसूरीश्वर (२७३५) वर्धमानः वि० सं० २०३८ मिती वैशाख सुदि ६ बुधवारे श्रीवर्धमानस्वामी की प्रतिष्ठा श्रीखरतरगच्छ विभूषण स्व० श्रीमोहनलालजी महाराज समुदाय के स्व० गणि श्रीबुद्धिमुनिजी के शिष्य श्रीशाम्यानंदमुनि श्रीजयानंदमुनिजी द्वारा हुई। (२७३६) सीमन्धरः वीर सं० २५०८ वि० सं २०३८ मिती मिगसर सुदि ६ बुधवार दिने श्रीपालीताणा नगरे श्रीसीमंधरस्वामीजी की प्रतिष्ठा श्रीखरतरगच्छ विभूषण श्रीमोहनलालजी म० सा० के समुदाय के गणिवर्य श्रीबुद्धिमुनिजी के शिष्यरत्न श्रीशाम्यानंदजीमुनि जयानंदजीमुनि के करकमल से संपन्न हुई। (२७३७) वि० सं० २४०८ वि० सं० २०३८ मिगसर सुदि ६ बुधवार दिने श्रीपालीताणानगरे श्रीस्व०आचार्य श्रीकृपाचंद्रसूरीश्वरजी के समुदाय के साध्वी श्रीमहेन्द्रप्रभाश्री के उपदेश से श्रीविमलनाथ प्रभु की प्रतिष्ठा जयपुर निवासी विमलचंद सुराणा की धर्मपत्नी मेमबाई ने खरतरगच्छ विभूषण श्रीशाम्यानंदमुनि जयानंदमुनि के करकमलों से संपन्न हुई। (२७३८) चन्द्रप्रभः वि० सं० २०३८ फागण वदि ३ गुरुवार पालीताणातीर्थस्थापनार्थं चंद्रप्रभस्वामीजिनबिंबं श्रीनासक निवासी स्व० श्रीमती वरनीबाई...............सेठ रतनलालजी पटना परिवार श्रेयोर्थं कारितं मूर्त्तिरियं खरतरगच्छ विभूषण बुद्धिमुनि म० सा० शि० शाम्यानंदमुनि....... (२७३९) शिलालेखः सं० २०४१ माघ शुक्ल त्रयोदश्यां रात्रौ प्रभुसंभवनाथ पार्श्वनाथादिबिम्बानां अंजनशलाका कारापितं सं० २०४१ माघ शुक्ल चतुर्दश्यां सोमवासरे पुष्यनक्षत्रे प्रभुसंभवनाथ, पार्श्वनाथ, गौतमस्वामी, दादाजिनकुशलसूरि, नाकोड़ा भैरव, घंटाकर्णमहावीर यक्ष-यक्षिण्यादि-बिंबानि प्रतिष्ठापितं खरतरगच्छे आचार्य जिनकांतिसागरसूरि मणिप्रभसागरादिभिः॥ शुभं भवतु श्रीसंघस्य॥ २७३४. दादाबाड़ी, शत्रुजय: भँवर० (अप्रका०), लेखांक ११५ २७३५. दादाबाड़ी, शत्रुजयः भँवर० (अप्रका०), लेखांक ११३ २७३६. दादाबाड़ी, शत्रुजय: भँवर० (अप्रका०), लेखांक ११० २७३७. दादाबाड़ी, शत्रुजयः भँवर० (अप्रका०), लेखांक ११६ २७३८. दादाबाड़ी, शत्रुजयः भंवर० (अप्रका०), लेखांक ११८ २७३९. संभवनाथ जी का मंदिर, बालोतरा: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक २१६ (४७०) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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