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________________ जतनश्रीजी म० की शिष्यायें वयोवृद्धा विज्ञान श्रीजी म० विश्वप्रेमप्रचारिका पू० विचक्षणश्रीजी म० अविचल श्रीजी म० निपुणाश्रीजी म० तिलकश्रीजी म० आदि ठाणा १६ मद्रास, बेंग्लोर, मैसूर आदि देशो में धर्मप्रचार करते हुए पधारे। आप सबकी सान्निध्यता में हैदराबाद नवनिर्मित श्रीअजितनाथ जैन मंदिर की प्रतिमा की प्रतिष्ठा, अंजनशलाका, दीक्षाएं एवं उद्यापन आदि अनेक शुभ कार्य सम्पन्न हुए। तत्पश्चात् आपके ही सान्निध्य में स्थानीय श्रीसंघ ने कुलपाक तीर्थ की यात्रा के लिये वि० सं० २०२६ प्रथम आषाढ सुदि ५ शुक्रवार के शुभदिन में श्रीअजितनाथ जैन मंदिर सुलतान बाजार से प्रस्थान किया। वि० सं० २०२६ प्रथम आषाढ सुद ११ गुरुवार को श्री कुलपाकजी तीर्थ में सानंद प्रवेश किया। तीर्थ दर्शन एवं संघ दर्शन के लिये हैदराबाद, सिकंदराबाद, आदि निकटवर्ती स्थानों से यात्रीगण पधारे, सबने चतुर्विध संघ का स्वागत किया। - मंदिरजी में बड़ी पूजा एवं दादा गुरुदेव की पूजा, स्वामी वात्सल्य आदि शुभकार्यों के साथ पूज्य महाराजश्री के वरदहस्त से तीर्थमाला के उपलक्ष में संघपतियों की परम भावना से तीर्थोन्नति एवं प्रभुभक्ति निमित्त प्रतिदिन बड़ी पूजा पढाई जाय ऐसा शुभ निश्चय किया। (२७२४) जिनकुशलसूरि-प्रतिमा श्रीगाजियाबाद नगरे दादाजिनकुशलसूरि प्रतिष्ठा खरतरगच्छे श्रीजिनहरिसागरसूरिशिष्य कांतिसागरेण सं० २०२८ वैशाख शुक्ल ६ दिने (२७२५) जिनकुशलसूरि-पादुका ॐ हीं श्रीजिनकुशलसूरि सद्गुरुभ्यो नमः स्वस्ति श्रीबालोतरानगरे श्रीसंघेन कारिते दादाबाड़ी मध्ये श्रीजिनकुशलसूरिमूर्तिः पादुका च प्रतिष्ठितं नवाङ्गीटीकाकार अभयदेवसूरिसंतानीय जिनहरिसागरसूरिशिष्य अनुयोगाचार्य कांतिसागरैः श्रीखरतरगच्छे संवत् २०३६ ज्येष्ठ शुक्ल पंचम्यां गुरुवासरे। शुभं भवतु श्रीसंघस्य। __(२७२६) अभयदेवसूरि-पादुका स्वस्ति श्रीबालोतरानगरे सं० २०३६ ज्येष्ठ शुक्ल पंचम्यां गुरुवासरे नवाङ्गी टीकाकार खरतरगच्छाचार्य श्रीअभयदेवसूरीश्वराणां पादुका प्रतिष्ठितं जिनहरिसागरसूरिशिष्य खरतरगच्छचार्य श्रीकांतिसागरादि शुभं भवतु श्रीसंघस्य॥ (२७२७) जिनदत्तसूरिमूर्तिः स्वस्ति श्रीबालोतरानगरे सं० २०३६ ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी तिथौ गुरुवासरे खरतरगच्छसंघेन कारिते कलिकालकल्पतरु श्रीजिनदत्तसूरिमूर्तिः प्रतिष्ठितं खरतरगच्छे जिनहरिसागरसूरिशिष्य अनुयोगाचार्य कांतिसागरादिभिः शुभं। २७२४. गाजियाबाद : भँवर० (अप्रका०) २७२५. खरतरगच्छीय दादाबाड़ी, बालोतराः बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक २०५ २७२६. खरतरगच्छीय दादाबाड़ी, बालोतरा: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक २०४ २७२७. केशरिया नाथ जी का मंदिर, बालोतरा: बा० प्रा० जै० शि०, लेखांक २१८ (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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