SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 510
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १. श्रीखरतरविरुदप्राप्त १०८० श्रीजिनेश्वरसूरि २. श्रीमद्अभयदेवसूरि ३ दादासाहेब श्रीजिनदत्तसूरि ४. प्रकटप्रभावी श्रीजिनकुशलसूरि ५ युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरि (२६२० ) प्रतिमा सं० १९९३ ना मिती ज्येष्ठ वदि १२ गुरुवासरे श्रीमकसुदाबादवास्तव्य ओसवालज्ञातीय वृद्धशाखायां नाहरगोत्रीय सा० खडगसिंहजी तत् पुत्र सा उत्तम चंदजी तत् भार्या बीबी मया कुंवर श्रीसिद्धाचलौपरि श्रीऋषभदेवजी परौ प्रासाद मध्ये आलोषे प्रतिमा विवि मयाकुंवर स्वहस्ते स्थापितं प्रतिष्ठितं च श्रीबृहत्खरतरगच्छे भ० । यं । जु। श्रीजिनसौभाग्यसूरिजी विजैराज्ये पं० देवदत्तजी तत् शि० पं० हीराचंद्रेण प्रतिष्ठितं च॥ श्री॥ (२६२१) पार्श्वनाथ-पब्मासण ॥ ॐ नमः॥ गोलेच्छा पूर्वगोत्रे विलसति रविवच्छीदुलीचन्द्र श्रेष्ठी, पुत्रो हम्मीरमल्लोहथकरि विधिको माघशुक्ले दशम्यां। श्रेयोर्थं पूज्यपादैः खरतरगणपैः श्रीहरेः सागरेशैश्चक्रे शक्राभिवंद्यां जयपुरनगरे पार्श्वनाथप्रतिष्ठां । इहासूद्यौ च राज्येपि, राजेव विबुधा श्रियः। श्रीमद्धरणीन्द्राचार्यो, शांतिस्नात्रविधेः विधिः॥ (२६२२) कनकधी-पादुका वि० सं० १९९४ भाद्र कृ० ५ गुरौ प्रातः श्रीखरतरगणाधीश्वर श्रीसुखसागरसुगुरुसमुदायाधिपति वर्तमान श्रीजिनहरिसागरानुयायिनी प्रवर्तिनी श्रीपुण्यश्रीणां शिष्या आबालब्रह्मचारिणी दीर्घतपस्विनी श्रीकनकश्रीसा दिवंगताः। संस्कारभूमावत्र शांतिश्री रविश्री सदुपदेशात् तच्चरणकमले प्रतिष्ठिते मार्गः कृ० ५ चन्द्रे नागपुरे मरुधरे ॐ शांतिः (२६२३) शिलापट्ट-प्रशस्तिः श्रीखरतरगणाधीश्वर श्रीमत्सुखसागरजी महाराज साहब के समुदाय के वर्तमान जं० यु० प्र० भ० श्रीमज्जिनहरिसागरसूरीश्वरजी महाराज जी की शिष्यारत्न आबालब्रह्मचारिणी प्रवर्तिनी श्रीपुण्यश्रीजी महाराज जी शिष्या दीर्घतपस्विनी श्रीमती कनकश्रीजी महाराज का स्वर्गवास वि.सं. १९९४ भाद्रव वदि ५ गुरुवासरे नागोर में हुआ। उन्हीं की शिष्या श्री रविश्रीजी तथा शान्तिश्रीजी के सदुपदेश से शेठ तेजकरण चांदमलजी फर्म आगरा के वर्तमानवासी के बाबू पूर्णचन्द्र जी और कपूरचंदजी की मासा श्रीमती मगाबाई बसंतीबाई ने अपने खर्च से संस्कारभूमि में कनकमंदिर का निर्माण करवाया वि. सं. १९९४ के मिगसर वदि ५ सोमवार के दिन को समारोह में प्रतिष्ठा कराई। काम करने वाले निवेदक-इन्द्रचन्द्र खजान्ची २६२०. मोतीशाह की ट्रॅक, शत्रुजयः पू० जै०, भाग १, लेखांक ६९९ २६२१. मोहनबाड़ी, जयपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ७०९ २६२२. कनकमंदिर, दादाबाड़ी, नागोरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ७१७ २६२३. कनकमंदिर, दादाबाड़ी, नागोरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ७१६ (४५२) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy