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________________ महाराजा श्रीगंगासिंहजी बहादुर विजयराज्ये श्रीबृहत्खरतर भट्टारक गच्छे श्रीपूज्यमहाराज श्रीजिनकीर्त्तिसूरिजी सूरीश्वराणामुपदेशात् महोपाध्याय श्रीदानसागरजी गणिः तत्शिष्य उ । श्रीहितवल्लभजी गणिः धर्मवृद्धि के तथा स्वपर कल्याण के अर्थ पं । प्र । श्रीखेतसीजी का शिष्य पंडित श्रीचन्दजी यति के पास से क्रीत भावे यह उपासरा लेकर इसमें सर्व संघ के सन्मुख पूजन उच्छव करके इसका नाम जैन श्वेताम्बरी साधर्मीशाला स्थापित किया इस खाते उ० श्रीमोहनलालजीगणि के शिष्य पं० जयचन्द्रजी मुनिवर की प्रेरणा से कलकत्ता मुर्शिदाबाद वाले श्रीसंघने पण अच्छी मदत दीनी है और श्रीसंघ मदत देते रहेंगे इसकी कुंची कबजा बड़े उपासरे के ज्ञानभंडार में सदैव कायम रहसी इसमें सदैव जैन श्वेताम्बर यात्री आवेंगे सो उतरते रहेंगे सही ॥ सु ॥ दसकत॥ वंशी महातमारा ॥ (२५२२) जिनदत्तसूरि - पादुका ॥ संवत् १९५८ वर्षे आषाढ़ सुदि ५ शुक्रे दादाश्रीजिनदत्तसूरि पादुके प्रतिष्ठितं श्रीजिनकीर्त्तिसूरिभिः ॥ (२५२३) जिनकुशलसूरि-पादुका ॥ संवत् १९५८ वर्षे आषाढ़ सुदि ५ शुक्रे दादाश्रीजिनकुशलसूरिपादुके प्रतिष्ठितं श्रीजिनकीर्त्तिसूरिभिः ॥ (२५२४) अष्टपादुका - चरण २४ मा श्रीमहावीर सं० २४२८ श्रीविक्रम संवत् १९५८ मास तिथौ आषाढ़ सुद ११ गुरुवासरे महाराजा श्रीगंगासिंहजी बहादुर विजयराज्ये श्री बृ । खरतर भट्टारक चंद्र गच्छे ॥ श्रीबीकानेरनगरे । सर्वगुरुपादुके श्रीसंघेन कारापितं प्रति० जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनकीर्त्तिसूरिभिः । जैनलक्ष्मी मोहनशाला अ० लि० एषा पं० । मोहनलाल मु । स्वहस्ते प्र । शिष्य पं० जयचंद्रादिश्रेयोर्थं ॥ श्रीवीरात् ६५ जं० यु० प्र० भ० श्रीजिनचंद्रसूरिजी पा० ६६ महोपा० श्रीउदयतिलकजी गणिः ६७ । पु । उ । श्री अमरविजयजी गणिः । ६८ पु० उ० श्रीलाभकुशलजी गणिः ६९ पु० उपा० श्रीविनयहेमजी गणि पा० ७० पु० पा० श्रीसुगुणप्रमोदनी गणिः ७१ पु० पा० श्रीविद्याविशालजी गणिः ७२ पू० म ॥ उ लक्ष्मीप्रधानजी गणिः पं० प्र । पा । श्रीमुक्तिकमलजी गणिः ॥ T (२५२५) जिनकुशलसूरि-पादुकाः संवत् १९५८ मिति अघन वदि १२ सोमवार निहालचंद इन्द्रचन्द दुगड़ तस्य परिवार प्रतिष्ठा कारापितं मुर्शिदाबाद ॥ श्रीजिनकुशलसूरि महाराज का चरन ॥ शुभं भवतु २५२६ ) शिलालेख: ॐ श्री यह मंदिर श्री जैन श्वेताम्बराम्म्राय का श्री ऋषभदेवजी महाराज का है। इसका प्रतिष्ठा शुभ संवत् १९५८ शाके १८२३ माघ शुक्ला १२ बुधवार पुनर्वसुनक्षत्र मीनलग्न में खरतरगच्छाचार्य भट्टारक २५२२. पार्श्वनाथ जिनालय, अमरावतीः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६६७ २५२३. पार्श्वनाथ जिनालय, अमरावतीः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६६८ २५२४. कुन्थुनाथ जिनालय, रांगड़ी चौक, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १६८६ २५२५. जल मंदिर, पावापुरी: पू० जै०, भाग २, लेखांक २०३२ २५२६. स्टेशन मंदिर, जयपुर: प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६७० (४३६ Jain Education International खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह: For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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