SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 487
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२४७६ ) जिनकुशलसूरि-पादुका संवत् १९५० के स्थापित जिनकुशलसूरि चरण हैं। (२४७७ ) ताम्रपत्रोत्कीर्ण-लेख: श्री जिनायनमः॥ श्रीमत् वीर सं० २४२१ विक्रम सं० । १९५१ शाके १८१६ प्रवर्त्तमाने मासोत्तममासे आषाढशुक्लपक्षे तृतिया तिथौ गुरुवारे पुष्यनक्षत्रे मिथुनार्कगते रवौ शेष शुभनिरिक्षितवेलायां श्रीरतं(राज) वरे मालू गोत्रे साह धनरूपजी तत्पुत्र साह फुलचंदजी कस्या भार्या हीरादेवी तया श्रीअभिनंदनजिनप्रभो प्रासादकारितं स्वश्रेयं श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीजिनचंद्रसूरीश्वरजी आदेशात् श्रीशिवलाल मुनि प्रतिष्ठितम्॥ श्रीशुभम्॥ . (२४७८) दादापादुका-युगल पगलीया श्रीदादाजिनदत्तसूरिजी श्रीजिनकुशलसूरिजी संवत् १९५१ रा मिती सावण सुद ५ वार सोमवार (२४७९) उपाश्रय-लेखः ॥ श्रीवीर सं० । २४२१ विक्रम संवत् १९५१ आश्विन शुक्लपक्षे विजयदशम्यां श्रीविक्रमपुरवरे श्रीमहाराजाधिराज गंगासिंहजी बहादुर विजयराज्ये चतुर्विंशतितम जगदीश्वर जैन दिवाकर पुरुषोत्तम श्रीमहावीर स्वामी के ६५ पाटे कौटिकगच्छ चन्द्रकुल वज्रशाखा श्रीबृहत्खरतरविरुदधारक श्रीजैनाचार्य श्रीजिनचंद्रसूरीश्वरजी के अंतेवासी विद्यानिधान पूज्य पाठक श्रीउदयतिलकजी गणि तत्छिष्य पूज्य पा० । श्री अमरविजयजी गणि त। पु। श्रीलाभकुशलजी गणि त। पु। श्रीविनयहेमजी गणि त। पू। सुगुणप्रमोदजी गणि त।पु। श्रीविद्याविशालजीगणिः। त।पू। पाठक वर्तमान श्रीलक्ष्मीप्रधानजीगणिः उपदेशात् त । पं० मोहनलाल अपर नाम मुक्तिकमलमुनिना तत्त्वदीपक मोहन मण्डली सर्व संघस्य ज्ञानवृद्ध्यर्थं श्रीजैनलक्ष्मीमोहनशाला नामकं इदं पुस्तकालयः कारापितं ॥ दूहा ॥ जब लग मेरु अडिग है, जब लग शशि अरु सूर। तब लग या शाला सदा रहजो गुण भरपूर ॥१॥ (२४८०) नवलश्री-पादुका सं० १९५१ शाके १८१६ मिते माघ शुक्ल पंचम्यां गुरुवारे आर्या नवलश्रीणां चरणन्यासः प्रशिष्यणी आर्या यतनश्री प्रतिष्ठापित श्रीरस्तुः २४७६. कुंथुनाथ जिनालय, जोधपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६४५ २४७७. जैनमंदिर, सदरबाजार, रायपुर, छत्तीसगढ़ः पू० जै०, भाग २, लेखांक २०७८ २४७८. सेठजी का मंदिर, बूंदी: प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ६४७ २४७९. उपाश्रय का शिलालेख, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २५५२ २४८०. रेलदादाजी के बाहर, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २१२० (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) ४२९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy