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________________ (२४३५) आदिनाथ: सं० १९३६...............सौभाग्यसूरिजी विजयराज्ये नाहटा मौजीरामजी तत्पुत्र गुलाबचन्दजी श्रीआदिजिन कारापितं श्री आनन्द...............। (२४३६) ह्रींकार-यंत्रम् ॥ संवत् १९३८ रा शा १८०३ प्र० वैशाख सुदि ३ रविवारे प्रतिष्ठितं जं० । यु। भ। श्री श्री १०८ श्रीजिनचंद्रसूरिभि खरतर श्रीभावहरख य ने ॥ गुलेछा से। श्रीअमरचंदजी अगरचंदजी रे भारजा लक्ष्मीदे शुभम् आरोग्यं मनोकारणसिद्धि-नवनिधि कुरवन्तु (२४३७) चतुःषष्टि-योगिनी यंत्रम् ॥संवत् १९३८ रा शाके १८०३ वर्षे वैशाख सुदि ३ रविवारे........प्रतिष्ठितं श्रीश्रीजिनचन्द्रसूरिभिः श्रीभावहर्षगच्छे धाड़ीवाल से श्री मदनचंदजी अनोपचंदजी रे शुभ हेतवे॥ श्रीनागपुर मध्ये श्रीजिनपद्मसूरि भावहर्षगच्छे। __ (२४३८) शांतिनाथः (१) संवत् १९३८ वर्षे शाके १८०३ प्रवर्त्तमाने (२) मासोत्तममासे ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे (३) द्वादशम्यां गुरुवासरे श्रीव्यवहारगिरिशिखरे(४) श्रीशांतिजिनचरणप्रतिष्ठा। प्रथम (५) श्रीजिनहर्षसूरिभिः वृद्धविजय प्रतिष्ठा (६) राय लछमिपत धनपत बा(७) हदर जिर्णोद्धार कारापितं श्री(८) रस्तु (२४३९) महावीर-पादुका (१) संवत् १९३८ वर्षे शाके १८०३ प्रवर्त्तमाने मासोत्तममासे (२) शुभे ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे द्वादशी गुरुवासरे...........श्रीव्यवहार(३) गिरिशिखरे श्रीजिनचैत्यालये मूलनायक श्री (४) महावीरजिनचरणन्यासः प्रतिष्ठितं श्रीतपागच्छे वृद्धवि(५) जय थापीतं(दू) साह बहादरसंह प्रताप(६) सिंह तत् पुत्र राय लक्ष्मीपत धनपतसिंह (७) बाहाद(र) जिर्णोद्धार कारापितं श्रीरस्तु २४३५. चन्द्रप्रभ जिनालय, रंगपुर, उत्तर बंगाल पू० जै०, भाग २, लेखांक १०२१ २४३६. अजितनाथ मंदिर, नागपुर २४३७. अजितनाथ मंदिर, नागपुर २४३८. जैनमंदिर, वैभारगिरि, राजगृहः पू० जै०, भाग २, लेखांक १८५० २४३९. चौथा मंदिर, वैभारगिरि, राजगृहः पू० जै०, भाग २, लेखांक १८४८ (४२२) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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