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________________ (२३३५) शिलापट्टलेखः सं० १९२३ रा मिती फाल्गुण वदि ७ सप्तम्यां...............श्रीबृहत्खरतर...................धान श्रीजिनहंससूरिजी विजयराज्ये उ। म। श्रीदेवचंद दानसागर गणीजी उपदेशात् सुराणा गोत्रीय सुश्रावक धर्मचंद................वी सेठीया गोत्रीय गंगारामस्यांगजा सुश्राविका लाभकँवर बाई श्रीऋषभदेव महाराजस्य जिनबिंबं स्थापितम स्वस्य कल्याणाय (२३३६) आदिजिन-पादुका ॥ सं। १९२४ वैशाख सु। १३ सोमे श्रीमकसुदाबादवास्तव्य उ। वृ। शा। नाहटागोत्रे सा। पनजी तस्य भार्या............ श्रीआदिजिनपादुका स्थापितं श्रीबृहत्खरतरगच्छे जं। यु।प्र। भट्टा । श्रीजिनसौभाग्यसूरीश्वर तत्पट्टे श्रीजिनहंससूरि भ। विजयराज्ये खेमशाखायां पं । प्र। श्रीदेवचंदजी तत्शिष्य पं। हीराचंदजी तत्शिष्य पं। हेमचंद्रेण प्रतिष्ठितं च श्रीपालीतणा नगरे गोहेल श्रीप्रतापसिंहजी तत्पट्टे राजराजेश्वर महाराज श्रीसूरसिंहजी (२३३७) उपाश्रयलेखः अथ शुभाब्दे १९२४ शाके १७७९ चैतन्मिते ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे पंचम्यां तिथौ गुरुवासरे श्रीबृहत्खरतरगच्छे। जं। यु। भ। प्र। श्रीजिनसौभाग्यसूरीश्वराणामाज्ञया श्री। कीर्त्तिरत्नसूरिशाखायां उ। श्रीअमृतसुन्दरगणिस्तच्छिष्य वा। श्रीजयकीर्त्तिगणिस्तच्छिष्य पं० प्र० प्रतापसौभाग्यमुनिस्तदंतेवासिना पं० प्र० सुमतिविशालमुनिनाऽयं शुभोपाश्रयः कारितः पं० समुद्रसोमादि हेतवे ॥ बीकानेरपुराधीशः राजेश्वरः शिरोमणिः श्रीसरदारसिंहाख्यो नृपो विजयतेतराम् १ यावन्मेरुर्महीमध्ये चाम्बरे शशिभास्करौ। तावत्साध्वालयश्चेषश्चिरं तिष्ठतु शर्मदः २ । कारीगर सूत्रधार । भीखाराम। श्री (२३३८) पाषाण-पट्टिका संवत् १९२४ रा मिती आषाढ़ सुदि १० बृहस्पतिवार दिने जं। यु।प्र। श्रीजिनहंससूरिजी विजयराज्ये पं० प्र० विद्याविशाल मुनि तशिष्य पं० लक्ष्मीप्रधान मुनि उपदेशात् समस्त श्रीसंघेन कारापितं । __ (२३३९) कुण्डोपरिलेखः (१) ॥ श्रीबीकानेर तथा पूर्व बंगाला तथा कामरू देश (२) आसाम का श्रीसंघ के पास प्रेरणा करके रूपी(३) या भेला करके कुंड तथा आगोर की नहर बना(४) या सुश्रावक पुण्यप्रभाविक देव गुरुभक्ति(५) कारक गुरुदेव के भक्त चोरडियागोत्रे सीपाणी (६) चनीलाल रावतमलाणी सिरदारमल का पो (७) ता सिंघीया की गुवाड़ में वसंता मायसिंघ मेघ२३३५. आदिनाथ जिनालय, गोगादरवाजा, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक १९५६ २३३६. खरतरवसही, शत्रुजय, वर० (अप्रका०), लेखांक ४४ २३३७. उपाश्रय का शिलालेख, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २५४७ २३३८. चिंतामणि जी का मंदिर, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २२ २३३९. नमिनाथ जिनालय, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक ११९६ (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) (४०५) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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