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________________ (२२८४) जिनकुशलसूरि- पादुका - रौप्यमय ॥ सं० १९९८ माघ सुदि ५ । चं । श्रीजिनकुशलसूरिसद्गुरूणां चरणकमल उशवंशोद्भव चोपड़ा हुकुमचंद्रेण कारापितं प्रतिष्ठितं च । बृ । भ । श्रीजिनकल्याणसूरिभिः ॥ (२२८५) अमृतवर्धन - पादुका सं० १९९८ मिती फागण सुदि ७ स प्रतिष्ठापितश्च श्रीदानसागरमुनिना श्री श्री अमृतवर्द्धनजित्मुनेश्चरणन्यासः कारापितः (२२८६ ) जिनसौभाग्सूरि-पादुका सं० १९९८ वर्षे शाके १७८३ प्रवर्त्तमाने मि० फाल्गुन शुक्ले ८ अष्टम्यां तिथौ रविवासरे श्रीविक्रमपुरवास्तव्य श्रीसंघेन जं० युग० भ० श्रीजिनहर्षसूरीश्वर पट्टालंकार युग० भ० श्रीजिनसौभाग्यसूरीणां पादुके कारापिते प्रतिष्ठिते च श्री जं० यु० भ० श्रीजिनहंससूरिभिः श्रीबृहत्खरतरभट्टारकगच्छे समस्त श्रीसंघसदा प्रणमति । (२२८७ ) काष्ठपट्टिकालेखः सं० १९१९ रा वर्षे शाके १७८४ प्रवर्त्तमाने वैशाख सुदि सप्तम्यां ७ तिथौ इन्दुवारे तद्दिन श्रीसूरतगढ़ वास्तव्य समस्त श्रीसंघेन श्रीपार्श्वनाथचैत्यं कारापितं भ । जं । यु । प्र । श्रीजिनहंससूरिभिः प्रतिष्ठितं पं । प्र । लाभशेखर पं । राजसोम उपदेशात् ॥ 1 Jain Education International ( २२८८ ) शिलालेखः सं० १९१९ रा मिती मिगसर सुदि ३ दिने । जं० यु० प्र० भट्टारक बृहत्खरतरगच्छे वर्त्तमान भ । श्रीजिनहंससूरिवराः सपरिकरा : श्रीबीकानेर सुं विहारी ग्रामानुग्राम बंदावी। श्रीसरदारशहर बड़ोपल हनुमानगढ़ टीवी खड़ियाला राणिया सरसा नौहर भादरा राजगढ़ श्रीजीमहाराज पधार्या संवत् १९२०रा मि वैशा० सुद ६ श्रीसंघ हाकम कोचर मुँहता श्रीफतेचन्दजी कालूरामजी बड़ेहगांम सुं नगारो नीसाण घोड़ा प्रमुख इसदी आदि देकर सामेलो कीयो श्रीसाधु साथे बिहार में० वा० नंदरामजी गणि पं० प्र० चिमनीरामजी आदेशी पं० प्र० देवरामजी मुनि पं० प्र० आसकरणजी मुनि पं० प्र० रुघजी मुनि राजसुखजी पं० प्र० लछमणजी गणि पं० गोपीजी मुनि पं० हीरोजी पं० प्र० केवलजी मुनि पं० प्र० शिवलाल मुनि पं० प० अबीरजी मुनि पं० प्र० गुलाबजी वा० बुधजी ठा० १ पं० हिमतु मुनि पं० गुमान श्री राहसरीयो पं० सोमो पं० रुघलो पं० सुगणानन्द पं० बनोजी चिरं सदासुख चि० बींझो ठाणे ४१ साधु सर्व... पं० प्र० कचरमल्ल मुनि महाराज के साथ आदमी प्यादल रथ १ चपरासी हलकारे राजरो पौरो १ छड़ी छड़ीदार सेवग सुगणो चांदी री छड़ी १ सेवग बारीदार चौथूजी बिरधो नाइ २ नवलो मुलतानो दरजी ......तिनतस संवत् १९२० दीक्षा महोच्छव साधु २ योनै मि वै० सुद १० दिन भई बणारस पं०नि० बै० सु० १३ राजगढ़ में खमासण ७ मिठाई ४ सीरे २२८४. पंचायती मंदिर, जयपुरः प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ५९१ २२८५. रेलदादाजी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २०४२ २२८६. रेलदादाजी, बीकानेर: ना० बी०, लेखांक २०९७ २२८७. पार्श्वनाथ जिनालय, सूरतगढ़: ना० बी०, लेखांक २५२१ २२८८. सुपार्श्वनाथ जिनालय, राजगढ़-शार्दूलपुर: ना० बी०, लेखांक २४३८ ( खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह: For Personal & Private Use Only (३९७) www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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