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________________ (१९०२) शीतलनाथ: संवत् १८८८ माघ शुक्ल पंचम्यां सोमवासरे श्रीशीतलनाथबिंबं कारितं ओसवंश दुगड़ गोत्र प्रतापसिंहेन प्रतिष्ठितं च श्रीजिनचंद्रसूरिभिः। (१९०३) मल्लिनाथः ॥ सं० १८८८ माघ सु० ५ सोमे ओशवंशे कोठारी गुलाबचंद तद्भार्या बिंदो श्रीमल्लिजिनबिंबं कारितं प्र। च । बृ। ग। खर। ग। श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः। तत्श्रेयोर्थं। (१९०४) मुनिसुव्रतः ॥ संवत् १८८८ मा। सु। ५ श्रीमुनिसुव्रतबिंबं का। श्रीमा० माणिकचन्द्र पुत्र ताराचन्द्रेण प्र। भ। खरतर ॥ श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः॥ (१९०५) पार्श्वनाथः सं० १८८८ माघ सुदि ५ सोमे श्री गउडीपार्श्वबिंबं कारितं ओसवंश दुगड़ मो प्रतापसिंहेन । प्र। बृ। भ। खरतरगच्छाधिराज श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः श्रीजिनाक्षयसूरिपदस्थितैः (१९०६) वर्धमानः सं० १८८८ मा० सु० ५ श्रीवर्धमानजिनबिंब कारितं उसवंशे चोरडिया गोत्रे हरीमल भार्या ननी तया। प्र। बृ। भ। खरतर ग। श्रीजिनाक्षयसूरिपङ्कजप्रबोध स्वपितृसम श्रीजिनचंद्रसूरिभिः कारितं पूजकयोः श्रेयोर्थं । लखनऊ नगरे __ (१९०७) महावीरः ॥सं० १८८८ माघ सुदि ५ सोमे श्रीमहावीरजिनबिंबं कारितं ओशवंशे कांकरियागोत्रे माणिकचन्द्र पुत्र ताराचन्द्रेण । प्र। बृ। भट्टारक खरतरग। श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः श्रीजिनाक्षयसूरिपदांकितैः॥ स्वश्रेयोर्थं। (१९०८) महावीरः - सं० १८८८ माघ सुदि ५ श्री महावीरबिंबं कारितं श्रीमालान्वये फोफलियागोत्रे बखतावरसिंहस्य भार्या ज्ञाना १९०२. श्वे. जैन मंदिर० मधुवन, सम्मेतशिखर : पू० जै०, भाग १, लेखांक ३४२ १९०३. श्रीमालों का मंदिर, जयपुर : प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ४६३ १९०४. श्रीमालों का मंदिर, जयपुर : प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ४६६ १९०५. प्रतापसिंह जी का मंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखरः पू० जै०, भाग २, लेखांक १८२२ १९०६. चिन्तामणि पार्श्वनाथ जी का मंदिर, सुधीटोला, लखनऊ : पू० जै०, भाग २, लेखांक १५८६ १९०७. श्रीमालों का मंदिर, जयपुर : प्र० ले०, सं० भाग २, लेखांक ४६४ १९०८, चिन्तामणि पार्श्वनार्थ मंदिर, मुम्बई : ब० चि०, लेखांक १४ (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) (३३३) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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