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________________ जिनचन्द्रसूरि से प्रतिष्ठा करवाई थी, उस समय उनके साथ आचार्य जिनसिंहसूरि, समयराजोपाध्याय, हंसप्रमोदगणि, सुमतिकल्लोलगणि, वाचक पुण्यप्रधानगण और सुमतिसागर आदि सम्मिलित थे । लेखाङ्क १२७० सम्वत् १६६३ में जामनगर में शत्रुसल्ल जाम राज्य में बाफणा गोत्रीय समरसिंह के पुत्र शाह भरथ जो पत्तन नगर के राजा द्वारा वरश्रेष्ठि पद के धारक थे, ने अपने परिवार सहित श्री जिनकुशलसूरि का स्तूप बनवाया और युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि के राज्य में श्री यशः कुशलगणि से प्रतिष्ठा करवाई । > - > > लेखाङ्क १२७१ - जिनगुणप्रभसूरि के स्तूप और पादुका के निर्माता थे छाजहड़ गोत्रीय मंत्री विजपाल और मंत्री तेजपाल । प्रशस्ति में इनके पूर्वजों का ऐतिहासिक उल्लेख है। राठौड़ वंश के महाराजा आस्थाम धांधल रामदेव काजल । काजल को सेठ के यहाँ गोद दिया गया। उसने श्रावक धर्म स्वीकार किया और उनके वंशज क्रमशः इस प्रकार हुए काजल कुलधर > अजित> सामन्त > हेमराज बादा माला जूठिल कालू । कालू घड़सी चौहान के मंत्री हुए। कालू ने रायपुर नगर में मंदिर बनवाया । उनके पुत्र थे- रादे, छाहड़, नेणा, सोनपाल, नोडराजा, पुत्री का नाम था अरघू । मंत्री सोनपाल थाहरू । थाहरू की पुत्री सहजलदें। उसके तीन पुत्र हुए मंत्री सतपाल, देपाल, महीराज मंत्री देपाल उदयकर्ण श्रीकर्ण > सहसकीर्ण। सहसकीर्ण के मंत्री सूर्यमल्ल और मंत्री दीदा । सूर्यमल्ल > हरिशचन्द्र > मंत्रीश्वर विजपाल। मंत्री दीदा हम्मीर कर्मसिंह धर्मदास । हम्मीर का पुत्र था देवीदास । मंत्री विजपाल के पुत्र मंत्रीश्वर तेजपाल ने यह स्तूप और पादुका बनवाई। इसकी प्रतिष्ठा खरतरगच्छ की बेगड़ शाखा के जिनेश्वरसूरि जिनशेखरसूरि जिनधर्मसूरिजिनचन्द्रसूरि > जिनमेरुसूरि और जिनगुणप्रभसूरि के पट्टधर जिनचन्द्रसूरि ने सम्वत् १६५३ में की थी। जैसलमेर के राउल भीमसेन के विजयराज्य में जिनगुणप्रभसूरि के शिष्य मतिसागर ने यह प्रशस्ति लिखी। मंत्री भीमा के पुत्र, मंत्री पदा के पुत्र मंत्री माणिक ने इस देहरी के लिए रुपये दिये। प्रतिष्ठा के समय पं० विद्यासागर, पं० आनन्दसागर, पं० उद्योतविजय आदि सम्मिलित थे । लेखाङ्क १३०५ सम्वत् १६७३ में जैसलमेर नगर के राउल कल्याणजी के राज्यकाल में खरतरगच्छ बेगड़ शाखा के जिनेश्वरसूरि के विजयराज्य में छाजहड़ गोत्रीय मंत्री कुलधर के वंशज मंत्री बेगड़ > मंत्री सूरा मंत्री देवदत्त मंत्री गुणदत्त मंत्री सुरजन > मंत्री वकमा । मंत्री सुरजन> जीया > मंत्री पंचाईण मंत्री चांपसी, मंत्री उदयसिंह, मंत्री टोडरमल । चांपसी के पुत्र देवकरण। उदयसिंह के पुत्र महिराज और मंत्री टोडरमल के पुत्र सोनपाल ने परिवार सहित बेगड़ गच्छ का उपाश्रय बनवाया। > XXII 1 लेखाङ्क १३१० नूरदीन जहाँगीर के सवाई विजयराज्य में शाहजादा खोसडू खुरम इत्यादि के समय में अहमदाबाद निवासी प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेष्ठि देवराज की वंश-परम्परा में संघपति जोगी के पुत्ररत्न संघपति सोमजी और शिवाजी ने समस्त परिवार के साथ चौमुख प्रासाद खरतरवसही का निर्माण करवाकर भगवान् आदिनाथ की प्रतिमा निर्माण करवाई और इसकी प्रतिष्ठा श्री पुरोवाक् Jain Education International - - For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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