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________________ Jain Educ बाफना हिम्मतराम जी का मन्दिर, अमरसागर- जैसलमेर की प्रशस्ति ॥ श्री ॥ ।। श्री पारस जिन अएम् पूज्य श्री जितरा जिरा जिचर (एँ। जो ज६मं नि श्री मनदेवे जयतित राम्॥ मनोज दासकृतन पनमस्कृतः स्मिथ नोदं प्रतिदिन कृता मानिस स्फुर लिन मनसा ध्यायेति सोना पिनः तिषां सर्व समृद्धि कि निर्मात्रा इनवेदिकादीनि परिब्रजनिसद् साह रे तुरंता निचरा आदिमंधवाना मादिमंती: परियदितीर्धनाचा वन स्वामिनः सुमनाचा स्वभाविकमादि राज्य २८ बाद १७९१ प्रवर्तमानमासोनम मासेम धमासे धन क्षेत्रयोदश्मानि मे गुरुवासरे महाराजा विराजमदारावली श्री १०८ श्री श्रीश्रीवेरील जी विजयराज्ये श्रीमनेशन स्वास्त माजी संघवा सेवजी गुमांनचंदजी न सुपरना एनजी व दिमतराम जेम्मलं गीन यमन की सागर मेल जीमेली परिवार मुल बंद संगनमत के सरी मलपत्रदास साजीदास गवानदास नीम चंदाचित म दास तुल किरण मना लालकनैया लाल सपरिवार पर कमाएार्थ श्री सम्मको दीपनार्थच श्रीनगर या मरसागर सभी पवर्त्तना सभी चिना आरामस्थानी कृषनदेव जिन मन्दिरं चैनक रात्रि जी दिन मिनट हन्वनर एनायेन प्रतिष्ठित पदक असे विनादन खरतर गला विश्वरे एचन विधिसंघ सरितेन श्रीजिनमक्ति नामको सर्वश्री मूननायकत्वेनापिनपुन नेव चिवा नाम जन सिजाका विहितापन तमासादेवप्रतिष तं श्री बहु नायक न्वेन स्थापितंपुन र्विज्ञवहिद मानप्रतिष्ठा तंदिर के पास बाजूनी ऐ श्री दादा साहेब को मंदिर जलमा जिनका जी स्ाराज की त्रिच मांदे विराजमान तथा प्रीजिनंदन मुस्चिया कातथा जिनकुशलस्त्ररिन्दर पाकात श्री जिन्द सूरिचर पाडु का नया श्री जिनम मरि चरपा का मुरवस्था नितंबाना सवाइ रामजी के घर का थामी रतलाम से चिरुं सो नागभल चांदमल सोभाग मलकी मांजी वगैरेयामा श्री उदे श्रचिरुं सिरदार मलन भाई ए की मांजी बगेरेच्याया ओर पघले दिसावरा श्री संघा या सांमी वळल प्रमुणकरी श्री संघ की ही क्लिक पांच म्हाराज के दीक्षा दिनी जी दिन १५ सुधी मासागरमेर झाको गति त्यनविन विज्ञापन्तावना 5. ई. श्री दरबार साहिब, श्री मंदिरजा मे पधारी माती बी का फेरा पग में सेना सीमो के श्री संघ समेत श्रीजेशल मेख्यादजमुखी श्री प्रजजी महाराजक दोयक नीजिए नारी रूपी यो को मालइ सबाबत या कमनेट की नो उपाध्याय जी वगैरे गया गया तथा वारसवालाउपाध्याय विज्ञानेकरुपीयानया साल जोडात थारूपये का यानवगेरे जग लगदीना उपाध्याय जी श्री साहेब जलपुर मुख सागादिरूपी या दूसरो कुममान प्रत्येक प्रत्येक दी जातथा गळके तीयांको सत का यानी तरे कीनो श्री सिर कार की पंधरावी की नी घोड़ा सिरपाववरीरे मोका लो तिजरा ऐकी नोम सदीव गेरेग वागवा सर्वने सिर पावदी नासिवका ने जिदीव रूपी या चा रती सन नदिन की तक जिसने सोनेकार्थ नवगेरे सरपावदना श्रजिनल इस रिसावायां श्रमाची गणितत शिष्यांपास रुपचनश्रीनेशन में रूपादे सीनायं सस्तीरचिता कारगर सिजावट बी राम के दासुश्री मंदिरजीव शिजा जी के परिवारनो मोलेकी ती यां काकडी मंदीप नवगैरे मारण्वदीना श्रीमंदिर के मुलगे नारे या तपासे दिषेनी तरफ परतापचंदजी कोणी मुरती उ तरतरी की तारजा यांदीप मी मुरती बेनिनमंदिर के सामने उगल की तरफ पन्तममुबी चौतरी करा पजिए उपरपर नाप चंद जी की री तथा परनापचंदजी की नारजायां सपरिवारसी की मुरीयां स्थापितकीनी ४५ मिनी निगसरसुंदर वाद सगजेमी बाफ का कविनदाद को नासि जन चंदना समजाप जिव चंद ॥ कर्मरोग सभी मीलधारसमिती जयजय समग्रह दिन सत्गुरुसी । एहिजादपुर मागले ज्योतिजमानादिगुणांक रोप त्या जगन्निदम्मान श्राव एन्जयो समर सनि रमलजी नरथोनीमाथि निजची परीने बानि नषसहजसमाना नियोजान देक वीनसंग सज्जनतासांना ५॥ श्री श्री श्री॥ ॥ श्री
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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