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________________ (२६) दे सं० विमलादे पुत्र सं० सहसमल्ल सं० करणा सं० धरणा। पुत्रिका हरषू सलषू हस्तू। सं० सं० सहसमल्ल भार्या सं० (२७) कुंरी पुत्र भोला सं० सवीरी पुत्र डाहा सं० करणा सं० कनकादे पुत्र षीदा। पुत्रिका लाला सं० धरणा भार्या धरणिगदे पु(२८) त्रिका वाल्ही। इत्यादि परिवार सहित सं० वीदइ श्रीशत्रुजयगिरनारआबूतीर्थ यात्रा कीधी। समकितमो(२९) दक घृत षांड साकरनी लाहिणि कीधी श्रीजिनहंससूरिगछनायकनी वर्षग्रंथि महोछव करी अल्ली घर २ प्रतइ (३०) लाही। पांचमिनां ऊजमणा कीधा। पांच सोनइया प्रमुख अनेक वस्तु ऊजमणइ मांडी। श्रीकल्पसिद्धांतपुस्तक घणी(३१) वार वचाव्या। पांचवार लाष नवकार गुणी चारसा जोडी अल्लीनी लाहिणि कीधी। सं० सहसमल्ल श्रीशत्रु(३२) जयतीर्थइ यात्रा करी जूनइगढि राणपुर वीरमगाम पाटण पारकरि षांड अल्ली लाहणि करी घरे आव्या (३३) पछइ सं० वीदइ घर २ प्रतइ दस २ सेर घृत लाह्या। अष्टापदप्रासादइ बिहु भूमिकाए जंगतिना बारणा(३४) नी चउकी करावी। पउडसाण जाली २४ सुहणा देहरा ऊपरि कांगुरा अष्टापदइ कराव्या । काउसग्गीया (३५) श्रीपार्श्वनाथनां बि कराव्या। बिहुं हाथिए सं० षेता सं० सरसतिनी मूर्ति करावी। संवत् १५८१ वर्षे मागसिर व(३६) दि १० रविवारे महाराजाधिराज राउल श्रीजयतसिंह तथा कुमर श्रीलूणकर्णवचनात् श्रीपार्श्वनाथ (३७) अष्टापद विचालइ सं० वीदइ सेरी छावी। कुतना वड बंधाव्या। वारणा पउडसाण कराव्या। वेईबंध छज्जा(३८) वलि करावी। कोहर एक कराव्या। गाइ सहस १ जोडी घृत अन्न गुल रुत घणी वार षट्दरसण ब्राह्मणा(३९) दिकनां दीधा। श्रीजेसलमेरुगढनी दक्षिण दिसइ घाघरा बंधाव्या। देहरानी सेरी नइ घाघरा बेऊ० श्रीजय(४०) तसिंह राउलनइ आदेसइ सं० वीदइ कराव्या। गउष करावी दस अवतार सहित लषमीनारायणनी मू(४१) र्ति गउषइ मंडावी॥ जिनो दशावतारोऽप्यवताररहितस्य तु । श्रीषोडसजिनेंद्रस्य समियाय परीष्ट(४२) ये॥ १ शुद्धसम्यक्त्वधारित्वाद्भावितीर्थंकरत्वतः। स लक्ष्मीकः समायातो जिनो दातुमिव श्रियं ॥ २ मंडपा(४३) दिकनी कमठा सं० सहसमल्ल सं० करणा सं० धरणा कराविस्यइ ॥ इत्येषा प्रशस्तिः श्रीबृहत्खरतरगच्छे श्रीजि(४४) नहंससूरिपट्टालंकारश्रीजिनमाणिक्यसूरिविजयिराज्ये श्रीदेवतिलकोपाध्यायेन लिखिता चिरं नंदतु ॥ (४५) सूत्रधार मनसुख पुत्र सूत्रधार घेताकेन मुदकारि प्रशस्तिरेषा कोरीतं ॥ :॥ श्रीभवतु ॥ (१८८) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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