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________________ ८ षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, प्रकाशकीय ग्रंथ, विधिविधान क्रिया उपयोगी ग्रंथ, उपरांत सन्मार्ग पाक्षिक की गुजराती-हिन्दी आवृत्तियाँ इत्यादि अनेकविध ग्रंथो के प्रकाशन द्वारा चरम तीर्थपति श्रमण भगवान श्री महावीर परमात्मा द्वारा निर्दिष्ट और श्री गौतमस्वामीजी महाराजा - श्री सुधर्मास्वामीजी महाराजा आदि पू. गणधर सूरिवर आदि द्वारा संवाहित ज्ञान विरासत को यत्किंचित् भी संभालने का श्रेय हासिल कर सके हैं । इसी श्रेणी में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण सिद्धि कही जा सके वैसे सूरिपुरंदर पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् हरिभद्रसूरीश्वरजी महाराजा द्वारा संरचित और तपागच्छविभूषण पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् गुणरत्नसूरीश्वरजी महाराजा द्वारा विवृत्त किये गये श्री षड्दर्शन समुच्चय नामक महाग्रंथ का गुजराती भावानुवाद प्रकाशित करने के लिए सात वर्ष पूर्व हम सौभाग्यशाली बने थे । अब प्रस्तुत हिन्दी प्रकाशन को प्रकाशित करते हुए हमारा आनंद निरवधि बना हैं । पुरोवचन और मार्गदर्शन देते प्रवचन प्रभावक पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय कीर्तियशसूरीश्वरजी महाराजा का... पिछले कई महिनो से अविश्रांत परिश्रम उठाकर, विद्वद्भोग्य ऐसे इस ग्रंथ का अनेकबार परिशीलन करके अत्यंत सरल फिर भी रस बना रहे ऐसी शैली में, अनेक परिशिष्ट, टिप्पणीयाँ, साक्षियाँ, गाथा-अकारादिक्रम, निश्चित प्रूफशुद्धि आदि पूर्वक प्राय: अकेले हाथ इस विराट कार्य को परिपूर्ण करते संयम प्रेमी विद्वद्वर्य पूज्य मुनिराज श्री संयमकीर्तिविजयजी महाराज का... भावपूर्वक उपकार स्वीकार करके हम प्रभु के समक्ष प्रार्थना करते हैं कि, हम को मिली हुई शक्ति का हे प्रभु! तेरे शासन की आराधना, प्रभावना, सुरक्षा के अनन्य आलंबनरूप श्रुत की भक्ति में सतत निष्काम भाव से सदुपयोग होता रहे। - सन्मार्ग प्रकाशन वि.सं. २०६८ कार्तिक वद-द्वि. ३, ता. १४-११-११ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004073
Book TitleShaddarshan Samucchaya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamkirtivijay
PublisherSanmarg Prakashak
Publication Year2012
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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