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षड् समु भाग-१, परिशिष्ट ९, संकेत विवरणम्
न्यायली०
न्यायलीलावती न्यायवार्तिकम्
न्यायवा०
न्यायवा० ता० टी० : न्यायवार्तिकतात्पर्यटीका,
न्यायसारः
न्यायावता०
न्यायभा०
न्यायवि० वि०
न्यायवि०
न्याय बि० टी०
न्याय वि.
न्यायसि
न्यायसू०
न्यायभा०
नीति०
प्रभाकरवि०
प्रकरण पं०
प्रज्ञा० मलय०
प्रमाणन०
प्र० वार्तिकालं०
प्र० वा० स्ववृ० टी०
प्रमाणवा०
प्रमाणसमु०
प्रमाणप०
प्रमाणमी०
प्रमाणसं०
प्रमेयक०
प्रमेयरमाo
प्रमेवरत्न०
प्रव० टी०
प्रश० भा०, कन्द प्रश० किर० प्रश० भा, व्यो० पूर्णप्रज्ञभा०
पात० महाभा०
पां.यो.सू. बृहत्कल्प० मलय० बृ० सर्वज्ञसि
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: न्यायसारः
: न्यायावतारः
: न्यायभाष्यम्
: न्यायविनिश्चयविवरण, प्रथमभाग,
:
:
न्यायबिन्दुः न्यायबिन्दुटीका
न्यायविनिश्चय
न्यायसिद्धांत मुक्तावली
: न्यायसूत्रम्
:
न्यायभाष्य
: नीतितत्त्वालोक
:
प्रभाकर विजय,
: प्रकरणपंजिका,
:
प्रज्ञापनासूत्र मलयगिरिटीका
:
प्रमाणनयतत्त्वालोकः
: प्रमाणवार्तिकालंकारः,
:
प्रमाणवार्तिकस्ववृत्तिटीका, प्रमाणवार्तिकम्,
:
प्रमाणसुमज्ञयः
: प्रमाणपरीक्षा,
: प्रमाणमीमांसा,
: प्रमाणसंग्रह,
: प्रमेयकमलमार्तण्ड,
: प्रमेयरत्नमाला,
प्रमेयरत्नार्णव
:
: प्रवचनसारटीका (जयसेनीया)
बृहदा० ब्रह्मसू० शां० भा०
| बोधिचर्या० पं० पृ०
:
प्रशस्तपादभाष्यकन्दली
: प्रशस्तपादभाष्यकिरणावली टीका,
:
भग०
भगवद्गी०
भा.ता.नि.
म.सि.सा.
मनु०
महाभा०
माध्यमिक० कृ०
मीमांसान्या०
युक्तयनुशा०
| योगद० व्यासभा०
बृहदारण्यकोपनिषत्, ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्यम्, : बोधिचर्यावतारः,
भगवतीसूत्रम्,
भगवद्गीता,
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:
: माध्वसिद्धांतरसार मनुस्मृति,
: महाभारतम्,
: माध्यमिकवृत्तिः,
: मीमांसान्यायप्रकाश
मानमे०
मी० श्लो०
मी० श्लो० उपमान० :
मी० श्लो० प्रत्यक्षसू० :
मुण्डक०
:
मूलाचा०
: मूलाचार,
मैत्रा०
यश०
:
:
यो. सू.
योगभा०
योगभा० तत्त्ववैशा०
यो.शा.
योगसू० व्यासभा० योग इ. समु.
यो.श.
रत्नक०
रत्नाकराव०
राजवा०
वादन्यायः प्रशस्तपादभाष्य व्योमवतीटीका, पूर्णप्रज्ञभाष्य विधिवि०
: पातंजल महाभाष्य
विधिवि० न्यायकणि० :
विवरणप्र०
पांतजलयोगसूत्र बृहत्कल्पभाष्यम्-मलयगिरि टीका विवेकचू०
1:0
: बृहत्सर्वज्ञसिद्धिः
विशेषा०
:
भागवततात्पर्यनिर्णयः
:
: युक्तयनुशासन,
: योगदर्शनव्यासभाष्यम्,
योगसूत्र
योगदर्शनव्यासभाष्यम्
योगभाष्यस्य तत्त्ववैशारदीटीका,
योगशास्त्र
मानमेयोदयः
मीमांसा श्लोकवार्तिकम्,
मीमांसा लोकवार्तिकम्
मीमांसा श्लोकवार्तिकम्,
मुण्डकोपनिषत्
:
:
मैत्रायण्युपनिषद्, यशस्तिलकम्,
:
: योगसूत्रव्यासभाष्यम्
योगदृष्टि समुच्चय
योगशतक
रत्नकरण्ड श्रावकाचार,
:
: रत्नाकरावतारिका,
: राजवार्तिक,
:
वादन्यायः,
: विधिविवेक,
५८९
विधिविवेक टीका न्याय कणिका,
: विवरणप्रमेयसंग्रहः,
विवेकचूडामणि
:
: विशेषावश्यकभाष्यम्,
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