________________
षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१
हार्दिक अनुमोदना -: लाभार्थी :
तपागच्छाधिराज पूज्यपाद आचार्य देवेश श्रीमद्विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा के पट्टालंकार वर्धमान तपोनिधि पू. आ. भ. श्री. वि. गुणयशसूरीश्वरजी महाराजा के शिष्यरत्न प्रवचन प्रभावक पू. आ. भ. श्री. वि. कीर्तियशसूरीश्वरजी महाराजा के आशीर्वाद से वर्धमान तपोनिधि पू.पं.प्र. श्री पुण्यकीर्तिविजयजी गणिवर्यश्रीजी के शिष्यरत्न पू.मु. श्री संयमकीर्तिविजयजी म.सा. के सदुपदेश से
श्री रत्नत्रयी आराधना भवन ट्रस्ट,
वसंतकुंज - अहमदाबाद द्वारा ज्ञाननिधि में से...
इस षड्दर्शन समुचय ग्रंथ के दोनों भाग के प्रकाशन का संपूर्ण लाभ प्राप्त किया गया है ।
आपके श्रीसंघ की श्रुभक्ति की हार्दिक अनुमोदना !!! भविष्य में भी आप का उत्तरोत्तर श्रुतभक्ति का शुभभाव उल्लसित बने रहे ऐसी शुभकामना ।
सन्मार्ग प्रकाशन
Jain Education International
नोंध : इस ग्रंथ, ज्ञाननिधि की द्रव्यराशी के सद्व्यय से प्रकाशित हुआ होने से गृहस्थवर्ग को इस ग्रंथ का संपूर्ण मूल्य ज्ञाननिधि में जमा कराकर ही उसकी मालिकी करने का परामर्श है ।
प्रकाशक
For Personal & Private Use Only
३
www.jainelibrary.org